Monday 30 November 2020

नवंबर में एक्टिव केस में 1.35 लाख की गिरावट आई, यह अक्टूबर से 2.35 लाख कम

देश में सोमवार को कोरोना के 31 हजार 179 केस आए, 42 हजार 282 मरीज ठीक हो गए और 482 की मौत हो गई। नवंबर में कुल 12.79 लाख केस आए। इनमें से 13.99 लाख मरीज ठीक हो गए, जबकि 15 हजार 508 मरीजों की मौत हो गई। इससे एक्टिव केस में 1.35 लाख की गिरावट दर्ज की गई। यह अक्टूबर से 2.35 लाख कम है। तब 3.70 लाख केस कम हुए थे।

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 94.63 लाख हो गया है। इसमें 88.73 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो गई। अभी 4 लाख 40 हजार मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • दिल्ली में टेस्टिंग बढ़ाने के मकसद से राज्य सरकार ने लोगों को बड़ी राहत दी है। अब राजधानी के प्राइवेट लैब में 800 रुपए में ही कोरोना टेस्ट होंगे। अब तक इसके लिए 2400 रुपए देना पड़ता था। सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान किया। कहा कि इससे राज्य में ज्यादा से ज्यादा लोग टेस्ट करा पाएंगे। राज्य सरकार की ओर से तैयार लैब्स में पहले की तरह फ्री में ही टेस्ट होंगे।
  • वाइस प्रेसिडेंट वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत ने कोरोनावायरस पैनडैमिक से बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। अर्थव्यवस्था भी जल्द ही स्थिर होगा। भारत में मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम है। ग्लोबल स्तर पर इसकी सराहना हुई है।
  • सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर 4 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस मीटिंग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सरकार ने कोरोना पर दूसरी बार ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है। मोदी की वैक्सीन कंपनियों से चर्चा के बाद यह पहली अहम बैठक होगी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। इन कंपनियों के वैक्सीन ट्रायल अलग-अलग स्टेज में हैं। प्रधानमंत्री ने इन्हें सलाह दी कि आम लोगों को वैक्सीन के असर जैसी बातों के बारे में आसान शब्दों में समझाने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करें। इस चर्चा में वैक्सीन की डिलीवरी के लिए लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट और कोल्ड चेन के मुद्दों पर भी बात हुई।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि अगले साल जुलाई-अगस्त तक देश के 25 से 30 करोड़ लोगों तक वैक्सीन पहुंच जाएगी। इसी के अनुसार सरकार तैयारी कर रही है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द वैक्सीन हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश करेगी।
  • ओडिशा सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, राज्य में 31 दिसंबर तक बड़े स्तर होने वाले सोशल, पॉलिटिकल, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट, एकेडमिक, कल्चरल, रिलीजियस कार्यक्रमों पर प्रतिबंध रहेगा। डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल और मास एजुकेशन क्लास 9-12वीं तक के स्कूल खोलने पर खुद फैसला ले सकेगा। सभी तरह के एकेडमिक, टेक्निकल, स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट भी 31 दिसंबर तक बंद रहेंगे। केवल मेडिकल कॉलेज खुलेंगे।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

यहां सोमवार को एक बार फिर 100 से ज्यादा कोरोना मरीजों की मौत हुई। बीते 24 घंटे में 3726 नए मरीज मिले। 5824 लोग ठीक हुए और 108 की मौत हुई। अब तक 5 लाख 70 हजार 374 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 32 हजार 885 मरीजों का इलाज चल रहा है। 5 लाख 28 हजार 315 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 9174 हो गई है।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में सोमवार को 1383 नए मरीज मिले। 1576 लोग ठीक हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 6 हजार 128 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 14 हजार 771 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 88 हजार 97 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3260 हो गई है।

3. गुजरात

सोमवार को राज्य में 1502 नए मरीज मिले। 1401 लोग ठीक हुए और 20 की जान चली गई। अब तक 2 लाख 9 हजार 780 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 90 हजार 921 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 14 हजार 870 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या अब 3989 हो गई है।

4. राजस्थान

राज्य में सोमवार को लंबे समय बाद नए केस से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। पिछले 24 घंटे के अंदर 2677 नए मरीज मिले। 2762 लोग ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 68 हजार 63 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 28 हजार 653 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 37 हजार 98 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2312 हो गई है।

5. महाराष्ट्र

सोमवार को राज्य में 3837 नए मरीज मिले। 4196 लोग रिकवर हुए और 80 की जान चली गई। अब तक 18 लाख 23 हजार 896 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 90 हजार 557 मरीजों का इलाज चल रहा है। 16 लाख 85 हजार 122 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 47 हजार 151 हो गई है।



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हिमाचल में किसानों की आय में इजाफा, पंजाब में मेहनत के मुताबिक दाम नहीं, महाराष्ट्र में कंपनी नहीं देती मुआवजा

नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली को घेर रखा है। आरोप है कि सरकार कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है। भास्कर ने देश के उन पांच राज्यों से जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की जहां इन कानूनों के बहुत पहले से ही कंपनियों और किसानों के बीच कॉन्ट्रैक्ट का फॉर्मूला चल रहा है।

पंजाब: कंपनी माल खराब बता लौटा दे तो नुकसान किसान को उठाना पड़ता है

पंजाब में सिर्फ निजी कंपनियां ही नहीं सरकारी संस्था पंजाब एग्रो फूड ग्रेन इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती है। मुख्यत: जौ, आलू, बेबी कॉर्न, मटर, ब्रोकली, स्वीट कॉर्न, सनफ्लावर, टमाटर, मिर्ची इत्यादि की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही हैै। आलू की खेती करने वाले किसान रुपिंदर ने बताया कि किसान को प्राइवेट कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने पर कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता। बस उन्हें कंपनी की ओर से नया सीड जरूर मिल जाता है।

सब्जियों में कंपनियां खराब क्वालिटी या ग्रेडिंग की बात कहकर 30 से 40 क्विंटल का माल कई बार वापस कर देती है। जिसका नुकसान किसान को उठाना पड़ता है। वहीं, कई कंपनियां खराब क्वालिटी बताकर तय राशि से कम पेमेंट करती हैं। शुरुआत तीन-चार साल बाद किसानों को मेहनत के मुताबिक दाम नहीं मिलते। लुधियाना स्थित फील्डफ्रेश कंपनी के मैनेजर कमलजीत सिंह ने बताया कि उनकी कंपनी किसानों को फिक्स प्राइस दिया जाता है।

महाराष्ट्र: राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए अब तक कोई गाइडलाइन तय नहीं

केंद्र कृषि कानूनों को महाराष्ट्र में लागू करने के लिए राज्य सरकार ने मंत्रियों की एक कमेटी का गठन किया है। हालांकि अब तक राज्य में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अपनाने वाले किसानों को फायदे से ज्यादा नुकसान ही हुआ है। राज्य में इसकी अब तक कोई गाइडलाइन भी तय नहीं है। यहां 5-6 कंपनियां आलू, कपास और सब्जियों की खेती का किसानों से कॉन्ट्रैक्ट करती हैं। पुणे जिले की खेड तहसील में आलू की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाले कैलाश आढवले कहते हैं कि कंपनी कम कीमत पर बीज और कीटनाशक देती है।

वैसे तो कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन यदि फसल को कोई नुकसान हुआ तो कंपनी कोई मुआवजा नहीं देती। पुणे के ही मंचर के किसान दीपक थोरात एक निजी कंपनी के लिए ब्रोकर का काम भी करते हैं। उनका कहना है कि ब्रोकर को 50 पैसे प्रति किलो कमीशन मिलता है। राज्य के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पांडुरंग सिगेदर का कहना है कि केंद्र के कानून में राज्य सरकार सिर्फ गिने-चुने निर्णय ले सकती है।

तमिलनाडु: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून है, फिर भी किसानों के 143 करोड़ कंपनियों पर बकाया

तमिलनाडु कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून बनाने वाला पहला राज्य है। अक्टूबर, 2019 में ही यहां एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एंड सर्विसेज एक्ट लागू है। कहने को इस एक्ट में केंद्र के कृषि कानूनों से भी बेहतर प्रावधान हैं। राज्य के कृषि सचिव गगनदीप सिंह बेदी कहते हैं कि राज्य के कानून के तहत किसानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग बिल्कुल वैकल्पिक है। वह चाहें तो अपनी उपज मंडियों में बेच सकते हैं।

राज्य में किसानों के पास उपज बेचने के लिए भी तीन विकल्प हैं-सरकारी मंडियां, गैर सरकारी मंडियां और डायरेक्ट प्रोक्योरमेंट सेंटर्स। यदि कोई कंपनी किसान से खेती का कॉन्ट्रैक्ट एक तय मूल्य पर करती है और बाद में उस उपज के दाम गिर भी जाएं तो कंपनी को पहले से तय दर से ही भुगतान करना होगा। तिरुनेलवेल्ली जिले के कन्नीयन का परिवार दशकों से खेती करता है। उनकी मुख्य उपज गन्ना है और इसके लिए वह चीनी मिल मालिकों और कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट भी करते हैं। मगर इन्हें 18 माह से पेमेंट नहीं दिया।

हिमाचल प्रदेश: पहले सेब लेकर दिल्ली जाना पड़ता था, अब घर बैठे अकाउंट में आता है पैसा

शिमला के सेब उत्पादक किसान कहते हैं कि प्राइवेट प्रोक्योरमेंट सेंटर होने से उन्हें बहुत राहत मिली है और वे अब पहले से ज्यादा कमाई कर रहे हैं। उन्हें किसी बिचौलिए से डील नहीं करना पड़ता है। स्थानीय किसान बताते हैं कि उन्हें पहले सेब बेचने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। अब ये प्राइवेट सेंटर ही खरीदारी कर लेते हैं। किसाना 10-12 हजार कैरेट सेब इन सेंटरों पर बेच रहे हैं। सेंटर किसानों को सीधे उनके बैंक अकाउंट में भुगतान कर देते हैं। पहले ग्रेडिंग अधिकारी को काफी कमीशन देना पड़ता था।

अब इस राशि की बचत हो रही है। कुछ कंपनियां यहां साल 2006 से ही सेब की खरीदारी कर रही है। यहां किसानों से सेब खरीदने वाली एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि वे यहां के सेब अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचते हैं। इसलिए क्वालिटी पर बहुत ज्यादा ध्यान होता है औक करीब 12 फीसदी सेब रिजेक्ट हो जाते हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से स्थानीय स्तर पर रोजगार में भी इजाफा हुआ है।

केरल: कॉन्ट्रैक्ट नहीं को-ऑपरेटिव फार्मिंग पर जोर, अब तक सफलता भी मिली

राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के बजाय वह को-ऑपरेटिव फार्मिंग को बढ़ावा देगी। रगरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाओं को भी को-ऑपरेटिव फार्मिंग से जोड़ा गया है। कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार आरोप लगाते हैं कि केंद्र किसानों को बड़े कॉर्पोरेट्स के चंगुल में फंसा रहा है, हमारे राज्य में को-ऑपरेटिव फार्मिंग का सफल फॉर्मूला लागू है। सरकार इस व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए को-ऑपरेटिव्स को बैंक ऋण की राह भी आसान करेगी।

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावाले बताते हैं कि को-ऑपरेटिव फार्मिंग का अर्थ है सामूहिक हिस्सेदारी और सामूहिक श्रम। राज्य में ब्रह्मगिरी डेवलपमेंट सोसाइटी (बीडीएस) जैसे को-ऑपरेटिव समूह इसी मॉडल पर काम करते हैं। वायनाड जिले में काम करने वाले बीडीएस का गठन ट्रेड लिबरलाइजेशन के दौर में हुआ था जब केरल के काली मिर्च और कॉफी जैसी फसलों की कीमतें अचानक गिरने से सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली थी।



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किसान फाइल फोटो


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माउंट आबू में लगातार तीसरे दिन जमी बर्फ, बिहार में दिख रहा पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत लहर का असर

देश के उत्तरी इलाकाें में हाे रही बर्फबारी और पश्चिमी विक्षाेभ खत्म हाेने के साथ उत्तरी हवाएं सक्रिय हाेने से माउंट आबू में लगातार सर्दी का असर बना हुआ है। हालांकि साेमवार काे माउंट आबू का न्यूनतम तापमान 1 डिग्री बढ़ा है, लेकिन इससे सर्दी से काेई राहत नहीं मिली। माउंट आबू में साेमवार काे न्यूनतम तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया गया।

तापमान 2 डिग्री पर रहने से यहां सवेरे जगह-जगह ओस की बूंदें बर्फ बनी नजर आई और देर तक वादियाें में भी काेहरा छाया रहा। माउंट आबू में पड़ रही कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए यहां आने वाले सैलानियाें के साथ स्थानीय लाेग भी गर्म कपड़ाें में नजर आए तथा अलाव जलाकर सर्दी से बचने का जतन किया। यहां साेमवार सुबह मकानाें और हाेटलाें के बगीचाें की घास, नक्की झील पर खड़ी बाेट की सीटाें, मकानाें के बाहर खड़ी कार की छत और शीशाें पर बर्फ जम गई। गुरुशिखर, ओरिया और अचलगढ़ क्षेत्र में भी सवेरे मैदान और खेताें में ओस की बूंदें बर्फ में तब्दील हाे गई।

पटना: रात में बढ़ेगी ठंड, गिरेगा पारा, सुबह में रहेगी धुंध

पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और तेज शीत हर का असर बिहार पर भी पड़ेगा। न्यूनतम तापमान में कमी आएगी और रात में ठंड बढ़ेगी। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के वैज्ञानिक अमित सिन्हा ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में नया सिस्टम बन रहा है, जिसका असर बिहार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन उत्तर भारत में तेज शीतलहर और बर्फबारी से आसपास के राज्याें में ठंड बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि तालाब और नदी के किनारे में मौजूद शहरों में सुबह में कोहरा भी छाया रहेगा।

सोमवार को भी पटना में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में आंशिक वृद्धि हुई। पटना का अधिकतम तापमान 26.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो रविवार की तुलना में 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक है, वहीं न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 0.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। राज्य में सबसे कम न्यूनतम तापमान गया में 9.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।



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माउंट आबू में पेड़ की टहनियाें पर जमी ओस की बूंदें।


source /national/news/mount-abu-receives-snow-for-the-third-consecutive-day-snowfall-in-bihar-and-snowfall-seen-in-bihar-127967164.html

मनी ट्रांसफर से इनकम टैक्स रिटर्न तक दिसंबर में आपके काम की जरूरी तारीखें



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December Important Dates 2020 Updates; Chandra Grahan To ITR Filing Last Date, US Coronavirus Vaccine and More


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दिल्ली बॉर्डर पर पांचवें दिन भी डटे रहे किसान; मोदी की काशी में देव दीपावली और कोरोना पर बड़ी कामयाबी

नमस्कार!
प्रधानमंत्री सोमवार को वाराणसी पहुंचे। सात घंटे तक वे अपने संसदीय क्षेत्र में रहे। यहां उन्होंने किसानों से लेकर राम तक की चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना में काफी कुछ बदला, लेकिन काशी की शक्ति-भक्ति और ऊर्जा आज भी वैसी ही है। यहां के निवासी ही देव हैं, जो आज भी दीप जला रहे हैं।
बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • मौसम विभाग ने निवार के बाद बंगाल की खाड़ी में एक और तूफान की चेतावनी दी है। तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप के तटीय इलाकों में 1 से 4 दिसंबर तक इससे भारी बारिश हो सकती है।
  • आज से रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट यानी RTGS सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहेगी। अब लोग RTGS के जरिए साल के 365 दिन कभी भी पैसों का लेन-देन कर सकेंगे।
  • सरकार हर महीने की पहली तारीख को रसोई गैस यानी LPG सिलेंडरों के दामों की समीक्षा करती है। आज देशभर में रसोई गैस के दाम बदल सकते हैं। हालांकि, पिछले दो महीनों से इसके दाम नहीं बदले हैं।

देश-विदेश
मोदी बोले- किसानों को छलने वाले झूठा डर दिखा रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। उन्होंने प्रयागराज-वाराणसी 6 लेन हाईवे का लोकार्पण किया। यहां उन्होंने 40 मिनट के भाषण में 26 मिनट किसानों पर बात की। उन्होंने कहा कि MSP और यूरिया के नाम पर छल करने वाले अब कृषि कानूनों पर झूठा डर दिखा रहे हैं। मोदी ने कहा- मैं काशी की पवित्र धरती से कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी नीयत से काम किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ का अभिषेक करने क्रूज से पहुंचे मोदी
मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचे। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया। मंदिर पहुंचने के लिए मोदी ने क्रूज की सवारी की। विश्वनाथ कॉरिडोर का जायजा लेकर मोदी देव दीपावली में शामिल हुए। इसके बाद वे भगवान बुद्ध की तपस्थली सारनाथ गए।

पांचवें दिन भी जारी रहा किसानों का प्रदर्शन
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को 5वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने दिल्ली के 5 एंट्री पॉइंट्स को सील करने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस ने सिंघु और टिकरी बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद कर दिया। अब सरकार ने उन्हें मंगलवार को दोपहर 3 बजे बातचीत के लिए बुलाया है। इससे पहले 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को भी सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था।

PM मोदी का मिशन कोरोना कवच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन में दूसरी बार कोरोना वैक्सीन बनाने वाली टीमों से बात की। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। पीएम ने लोगों को वैक्सीन के बारे में आसान भाषा में जानकारी देने की अपील की। मोदी ने शनिवार को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क और हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा किया था।

कोरोना पर 4 दिसंबर को ऑल पार्टी मीटिंग
सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर 4 दिसंबर यानी शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होने वाली इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी। कोरोना पर ये दूसरी ऑल पार्टी मीटिंग होगी।

बाबा आमटे की पोती ने सुसाइड किया
कुष्ठ रोगियों के लिए आनंदवन संस्था चलाने वाले डॉक्टर बाबा आमटे की पोती डॉक्टर शीतल आमटे (41) ने सोमवार तड़के चंद्रपुर में अपने घर में आत्महत्या कर ली है। उन्होंने जहर का इंजेक्शन लगाकर जान दी। कुछ दिन पहले उन्होंने आमटे महारोगी सेवा समिति में घोटाले की बात कही थी। वे समिति की CEO थीं। जान देने से पहले शीतल ने सोशल मीडिया पर वॉर एंड पीस की एक्रेलिक पेंटिंग शेयर की थी।

भास्कर एक्सप्लेनर
कोरोना ने एविएशन इंडस्ट्री को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि दुनियाभर में एविएशन इंडस्ट्री को 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट्स तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट्स अभी भी पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं हैं। इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA ने कोविड पासपोर्ट का प्लान पेश किया है।

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पॉजिटिव खबर
आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी बेहद इंस्पायरिंग है। एक टिफिन से पूरा बिजनेस खड़ा किया। कोरोना के चलते जब काम ठप हो गया, तो उन्होंने नए सिरे से शुरुआत की। अब वे इडली-सांभर और डोसा का स्टॉल लगाती हैं। महीने में 40 से 45 हजार रुपए की कमाई होती है।

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ब्रह्मपुत्र पर चीन बनाएगा सबसे बड़ा बांध
चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है। अगले साल से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। इससे भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है। दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत ने चीन से ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते का पालन करने को कहा है।

कुछ मामलों में मॉडर्ना की वैक्सीन 100% असरदार
अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना ने बताया कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए अमेरिका और यूरोपियन रेगुलेटर्स को अप्लाई करेगी। वैक्सीन के लास्ट स्टेज ट्रायल के बाद कंपनी ने दावा किया कि यह कोरोना से लड़ने में 94% तक कारगर है। कुछ गंभीर मामलों में तो इसने 100% असर दिखाया है।

सुर्खियों में और क्या है...

  • दिल्ली में अब प्राइवेट लैब में 800 रुपए में कोरोना टेस्ट कराया जा सकेगा। सीएम अरविंद केजरीवाल ये जानकारी दी।
  • कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें अब यूरोप में हो रहीं हैं। इटली, पोलैंड, रूस, यूके, फ्रांस समेत 10 देशों में हर दिन 3 से 4 हजार लोग दम तोड़ रहे हैं।
  • जापान के क्राउन प्रिंस फुमिहितो ने अपनी बेटी माको को बॉयफ्रेंड केई कोमुरो से शादी करने की इजाजत दे दी है। शादी लंबे समय से टल रही थी।


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Top News Today, News, Cricket News, Farmers Protest News: Dainik Bhaskar Top News Morning Briefing Today: Modi said in Kashi - those who opposed the farmers laws cheated, Ganga water in our mind


source https://www.bhaskar.com/national/news/top-news-today-news-cricket-news-farmers-protest-news-dainik-bhaskar-top-news-morning-briefing-today-modi-said-in-kashi-those-who-opposed-the-farmers-laws-cheated-ganga-water-in-our-mind-127967000.html

विरोध का न्यू नॉर्मल, प्रोटेस्ट फ्रॉम होम करके तो देखो



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Protest's new normal, Protest from home


source https://www.bhaskar.com/national/news/protests-new-normal-protest-from-home-127967001.html

सादगी का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता, अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना ही सादगी है

कहानी- घटना महात्मा गांधी से जुड़ी है, जब वे दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे। गांधीजी सादगी से जीवन जीने पर विश्वास करते थे। एक दिन उन्हें अपने घर का बजट बनाया तो देखा कि कपड़े धुलवाने के लिए काफी पैसे खर्च हो रहे हैं। वकील थे, तो वे अपनी शर्ट के ऊपर कॉलर बदल-बदलकर पहनते थे।

गांधीजी ने सोचा, 'शर्ट को रोज धोने की जरूरत नहीं है, लेकिन कॉलर तो रोज धोनी ही पड़ती है। इसके लिए धोबी को काफी पैसा देना पड़ता है, तो अब से मैं अपने कपड़े खुद धोना शुरू करूंगा।'

कॉलर में कलफ लगाना पड़ता था, जिससे वह कड़क रहे। गांधीजी ने कपड़े धोने का नया काम सीखा था तो एक दिन कॉलर पर कलफ ज्यादा लग गया। ऐसी ही कॉलर लगाकर वे अपने काम पर चले गए।

गांधीजी के साथी वकीलों ने देखा कि उनकी कॉलर से कुछ गिर रहा है। इस बात का सभी वकीलों ने मजाक बनाया और कहा कि क्या हमारे यहां धोबियों का अकाल पड़ गया है। तब गांधीजी ने कहा, 'अपने कपड़े खुद धोना कोई छोटी बात नहीं है। कोई भी नया काम सीखते हैं तो जीवन में काम ही आता है।'

गांधीजी कुछ ही समय में कपड़े बहुत अच्छी तरह धोने लगे और वे प्रेस भी बहुत अच्छी तरह करने लगे थे। काफी समय बाद उन्हें इसका फायदा भी मिला।

एक बार गोपालकृष्ण गोखले को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में सम्मान समारोह जाना था। वहां गोखले जी का ही सम्मान होना था। उस समय उनके पास एक खास चादर थी। ये चादर उन्हें स्व. महादेव गोविंद रानाडे ने दी थी। इस वजह से वे चादर बहुत संभालकर रखते थे।

गोखले जी वही चादर ओढ़कर सम्मान समारोह में जाना चाहते थे, लेकिन चादर पर सिलवटें पड़ रही थीं। उस समय वहां कोई धोबी भी नहीं था। तब गांधीजी ने कहा, 'ये चादर मुझे दीजिए, मैं इसे प्रेस कर देता हूं।'

गोखले जी ने व्यंग्य करते हुए कहा, 'तुम्हारी वकालत पर तो मैं भरोसा कर सकता हूं, लेकिन धोबीगिरी पर भरोसा नहीं कर सकता। तुम मेरी प्रिय चादर बिगाड़ दोगे।'

तब गांधीजी ने इस बात कि जिम्मेदारी ली कि चादर खराब नहीं होगी। इसके बाद गांधीजी ने चादर बहुत अच्छी प्रेस कर दी। चादर देखकर गोखले जी ने कहा, 'गांधी तुम सच में निराले हो, जो भी काम करते हो, पूरे मन से करते हो।'

सीख- अपने निजी काम खुद करना चाहिए। अपने काम खुद करने का मतलब गरीबी में जीना नहीं होता। अपनी सभी चीजों का सही उपयोग करना और अपने काम खुद करना ही सादगी है।



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कोरोना ने खत्म किया बिजनेस तो इंडली-सांभर का स्टॉल लगाया, हर महीने 50 हजार कमा रहीं

आज कहानी इलाहाबाद की गीता जायसवाल की। कभी एक-एक रुपए के लिए परेशान थीं। बेटी की पढ़ाई तक अच्छे से नहीं करवा पा रहीं थीं। आज महीने का 50 हजार रुपए कमाती हैं। टिफिन सेंटर शुरू करने से लेकर इडली-सांभर के स्टॉल तक की उनकी कहानी इंस्पायरिंग है। ये कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी...

गीता बताती हैं- ये बात इलाहाबाद की है। तब मैं पति के साथ रहती थी। एक छोटी बच्ची थी। पति जो कमाते थे, उससे बमुश्किल घर चल पाता था। मेरे पास अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के भी पैसे नहीं होते थे। बच्ची की अच्छी पढ़ाई-लिखाई भी हम नहीं करवा पा रहे थे।
उन्होंने कहा, 'मैं सोच रही थी कि, ऐसा क्या करूं, जिससे चार पैसे कमा सकूं। किसी ने मुझे टिफिन सेंटर शुरू करने की सलाह दी। मैं एक लड़की को टिफिन देने लगी। कुछ दिन बाद एक पीजी का काम मुझे मिल गया। वहां 15 बच्चों के लिए खाना देना था। तब मैं 1800 रुपए में तीन टाइम खाना दिया करती थी। सुबह से देर रात तक मेहनत होती थी, लेकिन इससे मेरे पास महीने के आठ से दस हजार रुपए बचने लगे थे।'

'खाना अच्छा था तो धीरे-धीरे टिफिन बढ़े और संख्या 40 तक पहुंच गई। 2011 से 2016 तक यही चलता रहा। फिर उस पीजी का काम बंद हो गया तो ग्राहक भी चले गए। नए ग्राहक मिल नहीं रहे थे। इलाहाबाद में मैं कुछ और कर नहीं सकती थी, क्योंकि बेइज्जती का डर था। मेरी एक बहन दिल्ली में रहती थी तो मैं 2016 में ही अपनी बच्ची को लेकर दिल्ली आ गई। मकसद साफ था कि खाने-पीने से जुड़ा कुछ काम करना है।'

गीता ने इस तरह से बिजनेस की शुरूआत की थी। कहती हैं, इतने पैसे भी नहीं थे कि अपना ठेला लगा सकें।

दिल्ली में पहला बिजनेस फेल हो गया
वो बताती हैं कि मैं अपनी दिल्ली वाली बहन के घर में ही रहने लगी और कुछ दिनों बाद पूड़ी-कचौड़ी, ब्रेड पकौड़ा बेचने का स्टॉल लगाया, लेकिन वो काम ज्यादा चला नहीं। ग्राहक नहीं मिल रहे थे तो मैंने फिर टिफिन सेंटर शुरू करने का सोचा। जहां रहती थी, वहां सब जगह पर्चे चिपका दिए। कई दिनों बाद एक ऑर्डर मिला। जिसने ऑर्डर दिया, वो IAS की तैयारी कर रहा था। उसे खाना अच्छा लगा तो उसके जरिए इंस्टीट्यूट के कई लड़कों ने टिफिन लेना शुरू कर दिया। मैंने साढ़े तीन हजार रुपए में तीन टाइम मील दिया करती थी। काम अच्छा सेट हो गया था। महीने का 35 से 40 हजार रुपए निकलने लगे थे। चार साल ये सब चलते रहा लेकिन मार्च 2020 में सब बंद हो गया।

कोरोना ने टिफिन का बिजनेस जीरो पर ला दिया
उन्होंने कहा- चार दिन में ही मेरे टिफिन 60 से घटकर 4 पर आ गए। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। फिर किसी ने बताया कि कोरोना वायरस आया है, इसलिए सब जा रहे हैं। मेरा पूरा जमा हुआ काम बंद हो गया। कुछ दिनों में जो जुड़ा पैसा था, वो भी खत्म होने लगा तो मैं एक हार्ट पेशेंट की देखरेख की काम करने लगी। उन्हीं के घर रहती थी। बच्ची को उसकी मौसी के पास छोड़ दिया था। तीन महीने तक वहीं रही।

अब गीता का बिजनेस पूरी तरह सेट हो चुका है। फूड स्टॉल के लिए जरूरी सेटअप भी उन्होंने खड़ा कर लिया।

इडली-सांभर के स्टॉल से मिली सक्सेस, अब महीने की बिक्री 90 हजार की
वो बताती हैं- जुलाई में दोबारा अपने घर आई तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। किराया देना था। बच्ची की स्कूल-ट्यूशन की फीस देना थी। बड़ी हिम्मत करके मैंने एक बार फिर फूड स्टॉल शुरू किया, लेकिन इस बार इडली-सांभर बेचने का सोचा, क्योंकि इसमें लागत कम आती है और हर उम्र के लोग ये पंसद करते हैं। 28 जुलाई को काम शुरू किया था। कुछ दिनों में ही बिजनेस अच्छा सेट हो गया। मैं शालीमार बाग में स्टॉल लगाती हूं। शाम 5 से रात 10 बजे तक स्टॉल लगता है। 40 से 50 ग्राहकों का आना आम बात है। इडली के साथ ही डोसा भी बेचती हूं। अब एक दिन का तीन से साढ़े तीन हजार रुपए का बिजनेस है। सब काटकर महीने का 40 से 45 हजार रुपए बच जाता है।'

गीता कहती हैं कि सोशल मीडिया पर वीडियो बनाने वाले कई लोगों ने मेरी मदद भी की। इसी काम को अब आगे बढ़ाना है। अब टिफिन सेंटर नहीं चलाऊंगी। कोरोना ने पहले मेरे लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी कर दी थी, लेकिन इसी से मैं एक नए बिजनेस पर शिफ्ट हो पाई और अभी सब ठीक चल रहा है। सबकी उधारी चुका दी। बच्ची की कोचिंग-स्कूल की फीस भी भर दी। उसे ज्यादा से ज्यादा पढ़ाना-लिखाना और कुछ बनाना ही मेरा सपना है।



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मार्च में गीता का टिफिन सेंटर का काम एकदम से बंद हो गया। जुलाई में उन्होंनें नए बिजनेस से शुरूआत की और अब पहले से ज्यादा कमाती हैं।


source https://www.bhaskar.com/db-original/news/corona-ended-business-in-one-stroke-now-sales-reach-90-thousand-with-new-idea-127967002.html

पिछले 6 साल में 10 राज्यों में BJP की सरकार बनी और 7 में CM; 4 में अभी भी इंतजार

हैदराबाद में निकाय चुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। इससे पहले यहां का चुनावी कैंपेन सुर्खियों में रहा। राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे खासी तवज्जो मिली। इसके पीछे वजह रही BJP के बड़े नेताओं का मैदान में उतरना। गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के फायरब्रांड मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों ने यहां रोड शो और रैलियां कीं। अब सवाल उठता है कि आखिर निकाय चुनाव के लिए BJP बड़े नेताओं को क्यों मैदान उतार रही है। 90 के दशक में तो अटल-आडवाणी विधानसभा चुनावों में भी ऐसा कैंपेन नहीं करते थे।

दरअसल, तब की भाजपा और अब की भाजपा और उसकी पॉलिटिकल स्ट्रेटजी में बहुत कुछ बदला है। इसे समझने के लिए हमें फ्लैशबैक में जाना होगा। 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इस पॉलिटिकल टूर्नामेंट को जीतने के दो महीने बाद भाजपा की कमान अमित शाह को सौंप दी गई। इसके बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने अपनी टीम और रणनीति दोनों नए सिरे से गढ़ना शुरू किया। पी टू पी यानी पंचायत से पार्लियामेंट के फार्मूले पर काम करना शुरू किया।

पार्टी के बड़े नेताओं को बूथ स्तर तक जाकर जमीन तैयार करने को कहा गया। खुद अमित शाह ने पन्ना प्रमुखों के साथ बैठकें शुरू कीं। कोशिश रही कि हर राज्य में भाजपा की सरकार हो या वह सरकार में रहे। इसके लिए उन्होंने जोड़-तोड़ से भी गुरेज नहीं किया और एक के बाद एक राज्यों में भाजपा की सरकार बनती गई। खासकर गैर हिंदी राज्यों में।

2014 लोकसभा के दौरान ही ओडिशा में विधानसभा के चुनाव हुए थे। तब भाजपा को सिर्फ 10 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद अमित शाह ने यहां के निकाय चुनावों में जोर लगाना शुरू किया। बड़े नेताओं को मैदान में उतारा। छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और झारखंड के तब के सीएम रघुवर दास ने कैम्पेन का मोर्चा संभाला। पार्टी को इसका फायदा भी हुआ और 297 सीटों पर जीत मिली। तभी लगने लगा था कि अब भाजपा वहां मजबूती से पैर पसार रही है और उसका असर अगले विधानसभा और 2019 के लोकसभा में भी देखने को मिला। बूथ स्तर तक जाकर राजनीति करने का ही नतीजा था कि लोकसभा में भाजपा को 8 और विधानसभा में 23 सीटें मिलीं।

GHMC के चुनाव में भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है। रविवार को सिकंदराबाद में गृह मंत्री अमित शाह ने रोड शो किया।

2014 के आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा छोटे भाई की भूमिका में नहीं रहना चाहती थी और शिवसेना से अलग होकर अकेले मैदान में उतरी। वह राज्य में सबसे बड़े दल के रूप उभरी। उसे 122 सीटें मिलीं। सबसे बड़ी बात की महाराष्ट्र में भाजपा का पहली बार मुख्यमंत्री बना। इसके पहले भाजपा महाराष्ट्र में छोटे भाई की ही भूमिका में होती थी। 2019 के चुनाव में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन शिवसेना ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस और NCP के साथ सरकार बना ली।

2014 में ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा के लिए चुनाव हुआ। इसमें भाजपा को बड़ी सफलता मिली। PDP के बाद वो सबसे बड़ी पार्टी बनी और 25 सीटें जीतीं। एक रणनीति के तहत भाजपा PDP के साथ सरकार में शामिल हो गई। हालांकि, ज्यादा दिन दोनों की दोस्ती नहीं चली और ढाई साल बाद BJP अलग भी हो गई।

2016 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पुड्डुचेरी और असम विधानसभा के चुनाव हुए। भाजपा ने पश्चिम बंगाल, केरल और असम पर ज्यादा जोर लगाया। अमित शाह ने पश्चिम बंगाल और केरल में जोरदार प्रचार किया, जबकि मोदी ने असम का मोर्चा संभाला। असम में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली। उसने 86 सीटें हासिल करके कांग्रेस के एक दशक के शासन का अंत कर दिया, लेकिन पश्चिम बंगाल में भाजपा सिंगल डिजिट में ही रह गई।

हालांकि, तब भाजपा बंगाल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही। उसका फायदा लोकसभा चुनाव में हुआ और पहली बार भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 18 सीटें हासिल कीं। इस बार सत्ता की सीधी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच है। हाल ही में अमित शाह बंगाल दौरे से लौटे हैं।

केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में भाजपा की दाल नहीं गली। केरल में सिर्फ एक सीट पर BJP को जीत मिली, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में खाता नहीं खुला। अरुणाचल प्रदेश में 2016 में काफी राजनीतिक उठापटक हुई। यहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने 43 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। अब पेमा खांडू बीजेपी से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

2017 में अगर गैर हिंदी भाषी राज्यों की बात करें तो पंजाब, गुजरात, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए। इनमें से पंजाब को छोड़ दें तो बाकी जगह भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही। मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी बनी कांग्रेस लेकिन सरकार बनी भाजपा की। इसी तरह गोवा में भी कांग्रेस बड़ी पार्टी बनी, लेकिन मुख्यमंत्री बना भाजपा का।

2018 की शुरुआत त्रिपुरा और कर्नाटक में चुनाव हुए। त्रिपुरा में BJP ने वामपंथ के किले को ध्वस्त कर दिया और राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। कर्नाटक में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और 2019 में फिर से भाजपा सत्ता में आ गई। इसके अलावा मेघालय, मिजोरम और नागालैंड में भी 2018 में चुनाव हुए। यहां भाजपा को कुछ खास नहीं मिला, लेकिन वह सरकार में शामिल हो गई। इन तीनों ही राज्यों में भाजपा सरकार में है।

2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही आन्ध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। इसमें आंध्र और सिक्किम में खाता नहीं खुला। ओडिशा में BJP पहले से मजबूत हुई। जबकि, अरुणाचल में खुद के दम पर भाजपा की सरकार बनी। अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुड्डुचेरी और असम में चुनाव होने हैं। इसमें से असम में भाजपा सरकार में है। पश्चिम बंगाल में वह टीएमसी को कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यहां कमल खिलता है या नहीं।



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2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश में भाजपा की सरकार बनी। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह मैन ऑफ द मैच। इसके बाद भाजपा की पॉलिटिकल स्ट्रेटजी बदल गई।


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इंसान ने 50 करोड़ जान लेने वाले चेचक को मारा, कई वायरस के टीके बनाए, HIV-कोरोना भी मरेंगे

सभ्यताओं के विकास के साथ-साथ इंसान लगातार जानलेवा वायरसों का हमला झेलता रहा है। इनसे करोड़ों लोगों की जान भी चली गई। हर बार लगा कि इंसानों पर इससे बड़ा खतरा कभी नहीं मंडराया, मगर इंसानों ने बड़े से बड़े वायरस को काबू कर लिया। आधुनिक समय का ऐसा ही एक वायरस है HIV, जो जानलेवा एड्स की वजह बनता है। कई दशकों की दहशत के बाद आखिर 2015 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में सभी देशों ने 2030 तक इसे दुनिया से मिटाने का ऐलान कर दिया है और हम धीरे-धीरे इस ओर बढ़ भी रहे हैं।

मौजूदा समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस के ऐसे ही हमले का सामना कर रही है। भारत समेत बड़े-बड़े देश इससे हिल गए, मगर इस बार भी इंसानों के जज्बे ने कोरोना पर लगाम कसना शुरू दिया है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 में कोरोना पर भी इंसान निर्णायक जीत हासिल कर लेगा।

दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के मुताबिक, करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं, जो जानवरों से इंसानों में जा कर सकते हैं। HIV, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं। चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया। वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी।

HIV : संक्रमण फैलने की रफ्तार थमी, 2030 तक जड़ से करेंगे खत्म

पिछले एक दशक में HIV फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है। भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले, वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई। दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं। ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक HIV को खत्म करना है। प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए HIV एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है।

टारगेट है-

  1. एचआईवी संक्रमितों में 90% को खुद के संक्रमित होने का पता हो
  2. संक्रमित होने का पता चलने पर कम से कम 90% को इलाज मिले
  3. इलाज कराने वाले 90% मरीजों में दवाओं से वायरल लोड बेहद कम हो

चेचक : इतिहास का पहला वायरस जिसे वैक्सीन से पूरी तरह खत्म किया गया

इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है। वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं। किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है। इससे जान जाने की दर 90% है। अकेले 20वीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई। हालांकि, वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। 1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी। मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह काबू पाया जा सका। 1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था।

इन्फ्लुएंजा- इसके किसी न किसी वायरस से हर साल करीब 5 लाख लोग गंवाते हैं जान

आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी। इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है। माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी। मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारैंटाइन किया जाता था। 1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है। इसी तरह स्वाइन फ्लू भी H1N1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है। माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए, जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया। डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया।

हंतावायरस: संक्रमित चूहे या गिलहरी से फैला, चीन में बनी वैक्सीन

चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था। जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था। इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी। हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है। इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है। कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे।

रैबीज : हर साल 20 हजार लोगों की मौत, वैक्सीन से पक्का बचाव मुमकिन

रैबीज एक वायरल बीमारी है, इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के दिमाग में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है। 99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होती है। भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है, जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है। जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था।

इबोला: 44 सालों में 16 देशों में फैला, इसकी वैक्सीन बनी

इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था। 44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है। 44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है। इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया। इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है। 2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई।

मर्स : 8 सालों में 27 देशों तक पहुंचा, 5 वैक्सीन तैयार होने की कगार पर

वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था। सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानों में फैली।। पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं। आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है। अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं। इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है। इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है।

रोटावायरस : हर साल 4 लाख बच्चों की मौत, वैक्सीन से इसे भी मारना मुमकिन

विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है। 2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थीं, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं। इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है। पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था। बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं।

मारबर्ग : मरने की दर 90%, 2019 में अमेरिका ने बनाई वैक्सीन

आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है।

कोरोना : भारत में बनेगी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी।



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We won over the deadly virus from the corona that attacked humans, the goal of eradicating HIV from the world by 2030


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क्या फ्लाइट में सफर करना मुश्किल भरा होगा? जानें कोरोना के दौर में क्या बदलने वाला है?

कोरोनावायरस ने किसी इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो है एविएशन। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) का अनुमान है कि कोरोना की वजह से दुनियाभर की एविएशन इंडस्ट्री को अभी तक 31 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

भारत समेत कई देशों में डोमेस्टिक फ्लाइट तो शुरू हो गई हैं, लेकिन इंटरनेशनल फ्लाइट अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई हैं। यही वजह है कि कोरोना के असर से इंडस्ट्री को उबारने के लिए IATA एक नया प्लान लेकर आई है और वो है कोविड पासपोर्ट। ये क्या है? इसकी जरूरत क्यों पड़ी? क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा? आइए जानते हैं...

कोविड पासपोर्ट क्या है?
दरअसल, IATA एक मोबाइल ऐप पर काम कर रहा है, जो दुनियाभर में ट्रैवल पास की तरह समझा जाएगा। इस ऐप को कोरोना की वजह से लाने का प्लान है, इसलिए इसे कोविड पासपोर्ट कहा जा रहा है। IATA के इस ऐप में यात्री के कोरोना टेस्ट, उसे वैक्सीन लगी है या नहीं (वैक्सीन आने के बाद) जैसी जानकारी होगी। इसके साथ ही इस ऐप में यात्री के पासपोर्ट के ई-कॉपी भी होगी।

इस ऐप पर यात्री का QR कोड होगा, जिसे स्कैन करते ही उसकी सारी डिटेल सामने आ जाएगी। ये ऐप IATA के मौजूदा टाइमैटिक सिस्टम पर बेस्ड होगी, जिसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए होता है। इसके साथ ही ये ऐप ब्लॉक-चैन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा और इसमें यूजर का डेटा स्टोर नहीं होगा।

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट से आने वाले पैसेंजर्स कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। चीन की वेबसाइट साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, पिछले दिनों शंघाई में कई कोरोना पॉजिटिव केस आए। इनमें से कई ऐसे थे जो यात्रा करके लौटे थे।

9 नवंबर से भारत और ओमान के बीच एयर बबल एग्रीमेंट के तहत इंटरनेशनल उड़ान शुरू हुई। इस दौरान भी कई यात्री पॉजिटिव निकले, जिसके बाद सीटों की संख्या 10 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी गई।
वहीं, हॉन्गकॉन्ग ने भी कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद 3 दिसंबर तक एयर इंडिया की फ्लाइट पर रोक लगा दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में आने वाले हर व्यक्ति के लिए RT-PCR टेस्ट कराना जरूरी कर दिया है। फिर चाहे वो बस से आए या ट्रेन से या फ्लाइट से।

इंटरनेशनल फ्लाइट से कोरोना पॉजिटिव आने के बाद IATA को एक ऐसे ऐप की जरूरत महसूस हुई, जो यात्री के कोरोना टेस्ट से लेकर उसकी हर डिटेल बता सके। ताकि दोबारा से इंटरनेशनल फ्लाइट को सही तरह से शुरू किया जा सके और बार-बार इन्हें रोकने की जरूरत न पड़े।

क्या और भी कोई कारण?
हां। कोरोना की वजह से दुनिया की इकोनॉमी को झटका लगा है। एविएशन इंडस्ट्री को भी नुकसान झेलना पड़ा है। IATA के मुताबिक, कोरोना की वजह से इस साल एयरलाइन कंपनियों को 84.3 अरब डॉलर यानी करीब 6.23 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। जबकि, उनके रेवेन्यू में भी 419 अरब डॉलर (31 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होने की आशंका है। इसके अलावा यात्रियों की संख्या भी कम हो गई। एविएशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब पायलटों की भी नौकरियां गईं। इन्हीं सबसे उबरने के लिए ऐसी कोशिशें की जा रही हैं।

क्या इससे हवाई सफर करना मुश्किल हो जाएगा?
नहीं, बल्कि इससे हवाई सफर पहले की तरह ही सेफ होगा। अमेरिका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) का कहना है कि फ्लाइट में यात्री जगह-जगह सतहों को छूते हैं। कम जगह होने की वजह से यहां सोशल डिस्टेंसिंग भी रख पाना मुमकिन नहीं है।

कुछ फ्लाइट में इन-बिल्ट एयर फिल्ट्रेशन और वेंटिलेशन सिस्टम होता है, जो किसी भी तरह के वायरस को फैलने नहीं देता और फ्लाइट के अंदर की हवा को साफ करता रहता है, लेकिन ऐसा सिस्टम हर फ्लाइट में नहीं होता। इसलिए कोविड पासपोर्ट होने से इन सारी परेशानियों से बचा जा सकेगा।

IATA कब तक इस ऐप को लॉन्च कर देगा?
इस साल इस ऐप की पायलट टेस्टिंग शुरू हो जाएगी। जबकि, मार्च 2021 तक इसे एपल डिवाइस के लिए लॉन्च करने की बात कही जा रही है। वहीं, एंड्रॉयड डिवाइस के लिए इसे अप्रैल 2021 तक लॉन्च किया जा सकता है।



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मुंबई के एक अस्पताल में 50% कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण, जानें क्या है और कैसे बचें

दुनिया भर में कोरोना के मरीजों में कावासाकी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। लेकिन अभी तक इसके लक्षण जिन कोरोना पीड़ितों में देखने को मिले, उनमें ज्यादातर बच्चे थे। कावासाकी वैसे भी बच्चों की बीमारी मानी जाती है। लेकिन क्या हो जब यह बीमारी बच्चों के साथ-साथ 40 से 60 साल के एडल्ट्स में भी दिखने लगे?

कोरोनावायरस पर अभी भी तमाम रिसर्च जारी है, बहुत सी रिपोर्ट आ भी चुकी हैं। अभी तक यह संक्रमण डॉक्टर्स और रिसर्चर्स के लिए पहेली ही बना हुआ है। हाल ही में मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल के ICU में एडमिट कोरोना के 50% से ज्यादा मरीजों में कावासाकी के लक्षण दिखे। हैरान करने वाली बात यह है कि इनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच है।

भोपाल AIIMS की डॉ. उमा कुमारी कहती हैं कि कोरोना की वजह से इम्यून डिसऑर्डर हो रहा है। कावासाकी भी इसी वजह से होता है। यह बच्चों की बीमारी है, एडल्ट में इसके लक्षण दिखने की वजह रिसर्च का विषय है।

क्या होता है कावासाकी?

  • कावासाकी रोग को म्यूकोस्यूटियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह बचपन में होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो ब्लड वेसल्स को प्रभावित करती है। ये त्वचा, नाक, गले और मुंह के अंदर स्थित म्यूकस मेम्ब्रेन पर प्रभाव डालती है।

  • कावासाकी होने पर बच्चों की पूरी बॉडी में रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है। इससे कोरोनरी आर्टरी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। यह रक्त वाहिकाएं ब्लड को हार्ट तक लेकर जाती हैं। इससे हार्ट की दिक्‍कत भी हो सकती है।

कावासाकी रोग होना कितना सामान्य है?

  • जापान, कोरिया और ताइवान समेत वेस्ट एशिया में कावासाकी रोग 10-20 गुना ज्यादा है। इससे पीड़ित अधिकतर बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के होते हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में इसकी संभावना दोगुनी होती है।

कावासाकी रोग के क्या लक्षण हैं?

इस बीमारी के लक्षण कई स्टेज में उभर कर आते हैं। पहले और दूसरे स्टेज में इसका इलाज आसानी से हो जाता है। लेकिन अगर यह तीसरे या उसके बाद के स्टेज में पहुंच जाए, तो इससे उबरने में सालों लग जाते हैं। तीसरे या उसके बाद की स्टेज में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।


कावासाकी रोग का क्या कारण है?

  • एक्सपर्ट्स के पास अभी तक इस बीमारी के सटीक कारण के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। अक्सर कावासाकी रोग सर्दियों के अंत में होता है।

  • कई सिद्धांतों में इस बीमारी का संबंध बैक्टीरिया, वायरस या पर्यावरणिक वजहों से जोड़ा गया है, लेकिन अभी तक इनमें से किसी भी वजह की पुष्टि नहीं की गई है। कुछ जीन आपके बच्चे में कावासाकी रोग के फैलने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

हार्ट के लिए खतरनाक कावासाकी

यह बीमारी हार्ट को प्रभावित करती है। कावासाकी रोग से पीड़ित ज्यादातर बच्चे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं और उन्हें किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। हालांकि, ज्यादा बढ़ जाने से यह हार्ट को बुरी तरह डैमेज कर सकता है।


कोरोना से इसका क्या कनेक्शन

  • डॉ. उमा के मुताबिक, कोरोना में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। उसे हम दोबारा भी मेंटेन कर सकते हैं। लेकिन बहुत से पीड़ितों में इम्यून डिसऑर्डर की समस्या भी देखी जा रही है।

  • इम्यून डिसऑर्डर में हमारे इम्यून सिस्टम ठीक से फंक्शन नहीं करते। इसके चलते कई बार ये अपने ही बॉडी के खिलाफ ट्रिगर कर जाते हैं।

  • कावासाकी भी इम्यून डिसऑर्डर से होता है। लेकिन इसे अभी पुख्ता तौर पार नहीं कहा जा सकता कि कोरोना पीड़ितों में कावासाकी के लक्षण दिखने की वजह इम्यून डिसऑर्डर है।

कोरोना के दौर में इससे भी बचना जरूरी

  • डॉ. उमा कहती हैं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कावासाकी के लक्षण सभी कोरोना पीड़ितों में देखने को मिल रहे है। लेकिन यह बीमारी ठंड में होती है, इसलिए इस दौर में अगर कोरोना हो जाता है, तो इसके भी होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में यह खतरा विशेष तौर पर है। इससे बचने का एक ही तरीका है कि हम खुद को मजबूत रखें।



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Kawasaki symptoms in 50% corona victims in a hospital in Mumbai, know what is and how to avoid


source https://www.bhaskar.com/utility/zaroorat-ki-khabar/news/kawasaki-symptoms-in-50-corona-victims-in-a-hospital-in-mumbai-know-what-is-and-how-to-avoid-127967027.html