Saturday 29 February 2020

पड़ोसियों के घर जलने से नहीं बचा पाई दिल्ली पुलिस, कई बार फोन करने पर भी नहीं पहुंची फोर्स

नई दिल्ली. खजूरी खास की मुख्य सड़क पर सुरक्षाबलों के जवान भारी संख्या में मौजूद हैं। आईपीएस अधिकारी मोहम्मद अली भी इनमें शामिल हैं, जो यहां मौजूद लोगों की शिकायत सुन रहे हैं और सवालों का जवाब दे रहे हैं। राहत सामग्री बांटती कुछ गाड़ियां ईंट-पत्थरों से भरी हुई सड़क पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं और कई लोग सामग्री पाने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ रहे हैं। इस इलाके में हुई आगजनी के निशान चारों तरफ देखे जा सकते हैं। लेकिन कुछ गलियां इतनी ज्यादा जली हैं कि ध्यान खींच ले जाती हैं। ऐसी ही एक गली में कुछ अंदर जाने पर एक मकान नजर आता है, जिसके बाहर लगी नेम-प्लेट पर लिखा है ‘हृदेश कुमार शर्मा, दिल्ली पुलिस।’

यह मकान इसलिए भी सबसे अलग नजर आता है, क्योंकि इसके आसपास के कई मकान पूरी तरह जल चुके हैं, लेकिन इसमें आग नहीं लगी। ऐसे ही कई और मकान भी इस गली में मौजूद हैं, जिनके अगल-बगल के मकान तो जलकर खाक हो गए, लेकिन ये चुनिंदा मकान पूरी तरह सुरक्षित हैं। जल चुके मकान खुद ही इस बात की गवाही दे रहे हैं कि इस इलाके में दंगाइयों ने निशाना बनाकर एक ही समुदाय के घरों में आगजनी की। इस गली में रहने वाले हृदयेश कुमार शर्मा अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जो दिल्ली पुलिस में नौकरी करते हैं। यहां दिल्ली पुलिस के कई अन्य जवानों और अधिकारियों के भी घर मौजूद हैं। इसके बावजूद भी इस गली में भीषण आगजनी हुई।

जिस गली में दिल्ली पुलिस के इतने लोग रहते हैं वहां भी पुलिस समय से क्यों नहीं पहुंच सकी? यह सवाल करने पर परमजीत सिंह कहते हैं, ‘‘मैं भी इसी गली में रहता हूं, दिल्ली पुलिस से ही रिटायर हुआ। हमने उस दिन पुलिस को कितने फोन किए, ये आप हमारे कॉल रिकॉर्ड में देख लीजिए। कई-कई कॉल करने के घंटों बाद भी पुलिस यहां नहीं आई।’’

इसी गली में बनी फातिमा मस्जिद भी पूरी तरह जला दी गई है। इस मस्जिद से कुछ ही आगे उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक कृष्ण कुमार का घर है। कुमार मोहल्ले के ही कुछ अन्य लोगों के साथ घर के बाहर चारपाई डाले बैठे थे। उन्होंने बताया, ‘‘यहां 25 तारीख को आग लगाई गई, लेकिन 24 से ही माहौल बहुत खराब हो गया था। हमने उसी रात पुलिस को कई बार फोन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 25 की सुबह दंगाई यहां घुस आए और उन्होंने कई मकान फूंक डाले।’’

इस गली में जो घर जले हैं उनमें सिर्फ पेट्रोल बम मारकर आग नहीं लगाई गई है, बल्कि घरों का ताला तोड़कर या लोहे की शटर काटकर स्कूटर-बाइक घरों के अंदर घुसाए गए और उनमें आग लगाई, ताकि ज्यादा फैल सके। करीब सभी जलाए मकानों में ऐसा किया गया। इसमें दंगाइयों को कई घंटों का समय लगा होगा। पर इस दौरान पुलिस नहीं पहुंच सकी, जबकि दिल्ली पुलिस के कई अधिकारी यहां रहते हैं। अपने ही पड़ोसियों के घर जलने से दिल्ली पुलिस रोक नहीं पाई।

जब यहां आग लगाई गई तब दिल्ली पुलिस के वे लोग कहां थे जो इस गली में रहते हैं? इस सवाल पर कृष्ण कुमार कहते हैं- ‘‘सभी लोगों की तैनाती दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में है। वे लोग अपनी ड्यूटी पर थे। उनके परिवार यहां थे, जब दंगा भड़का तो उन्हें भी हमारी तरह यहां से निकलना पड़ा। हमने शुरुआत में दंगाइयों को रोकने की बहुत कोशिश की। उन्होंने मुझे धक्का मारते हुए कहा कि अंकल आप हट जाइए, हम इनके घर नहीं छोड़ेंगे। हम अपनी जान बचाने के लिए गली से निकल गए।’’

खजूरी खास एक्स्टेंशन की यह गली उन चुनिंदा इलाकों में शामिल है, जहां सबसे योजनाबद्ध तरीके से आगजनी की गई। यहां सिर्फ मुस्लिम समुदाय के घरों को निशाना बनाया गया है, जबकि हिंदुओं के घर सुरक्षित हैं। इसके ठीक उलट बृजपुरी और शिव विहार में सिर्फ हिंदुओं के घर जले हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के घर सुरक्षित हैं। इन सभी जगहों के पीड़ित समुदायों की शिकायत एक जैसी है कि दिल्ली पुलिस समय रहते बचाव के लिए नहीं पहुंची। जबकि आगजनी से कई-कई घंटे पहले ही यहां के तमाम लोग पुलिस को फोन करके बता चुके थे कि इलाके में माहौल बेहद खराब हो चुका है।

इन दंगों में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर भी कई लोगों की जान बचाई है। ऐसा ही एक नाम उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी नीरज जादौन का भी है। नीरज उत्तर प्रदेश में पुलिस अधीक्षक हैं। 25 फरवरी को वे दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर गश्त कर रहे थे। तभी उन्होंने बमुश्किल दो से तीन सौ मीटर दूर स्थित करावल नगर इलाके से गोली चलने की आवाज सुनी। यहां 40-50 लोगों की भीड़ गलियों में तोड़फोड़ कर रही थी। घरों में पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे। ऐसे में नीरज तमाम प्रोटोकॉल तोड़ते हुए और अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाते हुए दिल्ली राज्य की सीमा में दाखिल हो गए और उन्होंने हथियारों से लैस दंगाइयों की भीड़ को खदेड़ दिया। इन दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस ने भी अगर नीरज जैसी सक्रियता दिखाई होती तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Delhi police could not save neighbors' house from burning, force did not reach even after many calls


source https://www.bhaskar.com/national/news/delhi-violence-ground-report-delhi-police-couldnot-protect-our-neighbours-home-126880645.html

सिंगरौली में 2 मालगाड़ी आमने-सामने टकराईं, 3 लोको पायलट की मौत

सिंगरौली. एनटीपीसी की 2कोयला मालगाड़ी रविवार तड़केआपस में टकरा गईं।हादसे में 3 लोको पायलटों की मौत हो गई।बैढ़न इलाके के रिहन्द नगर में एक मालगाड़ी कोयला लेकर जा रही थी, जबकि दूसरी मालगाड़ी खाली लौट रही थी। दोनों की रफ्तार बहुत तेज थी।टक्कर के बाद दोनों ट्रेनों काआगे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे मालगाड़ी में सवार कर्मचारी अंदर ही फंस गए।सूचना मिलने के बाद मौके पर सीआईएसएफ, एसडीएम और पुलिस भी पहुंची।

टक्कर के बाद डिब्बे भी पटरी से उतर गए। भरी मालगाड़ी का डिब्बा खाली मालगाड़ी के इंजन पर गिरा,जिसमें 3 लोको पायलट सवार थे। बोगी से कोयला खाली कराने के बाद 2 क्रेन बोगी को हटा रही हैं।यह पहली बार है, जब इस ट्रैक पर ऐसा हादसा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल कोयला लाने-ले जाने वाली मालगाड़ियों के लिए ही होता है। इसमें बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है कि एक ही ट्रैक पर 2मालगाड़ियों को कैसे जाने दिया गया?



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रेल हादसे के बाद एनटीपीसी की टीम और पुलिस राहत-बचाव अभियान में जुटी।
दोनों मालगाड़ियाें की रफ्तार तेज थी। टक्कर के बाद अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।
सिंगरौली में इस रेलवे ट्रैक का उपयोग कोयला लाने-ले जाने वाली मालगाड़ियों के लिए ही होता है।


source https://www.bhaskar.com/mp/jabalpur/news/two-coal-freight-trains-collided-in-singrauli-three-piolet-stuck-in-train-126880163.html

गृह मंत्री शाह बोले- साल में 100 दिन अपने परिवार संग रह पाएंगे एनएसजी जवान, सीएए के समर्थन में रैली भी करेंगे

कोलकाता. गृह मंत्री अमित शाह दो दिनों के पश्चिम बंगाल यात्रा पर हैं। रविवार को उन्होंने राजारहाट में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के 29 विशेष समग्र समूह परिसर का उद्घाटन किया। इस दौरान जवानों को संबोधित करते हुए उन्होंने बड़ा एलान किया। कहा कि केंद्र सरकार ऐसी नीति तैयार कर रही है जिसके जरिए जवान कम से कम 100 दिन अपने परिवार के साथ रह सकें। इसका मॉड्यूल भी तैयार हो चुका है। मैं खुद इसकी निगरानी कर रहा हूं। शाही ने कहा कि देश की सुरक्षा में लगे सभी जवानों के परिजनों और बच्चों की सुरक्षा और सहूलियत की जिम्मेदारी हमारी है। मोदी सरकार जवानों के बच्चों को अच्छी शिक्षा, परिजनों को रहने के लिए हाउसिंग सुविधा, चिकित्सा की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराएगी।

हम दुश्मन के घर में घुसकर मारना जानते हैं
शाह ने एनएसजी जवानों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि हम पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं लेकिन जो हमारी शांति में दखल देंगे उन्हें उनके घर में घुसकर मारना भी जानते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक इसका ताजा उदाहरण है। मोदी सरकार ने जवानों को पूरी छूट दे रखी है। आज तक ऐसा नहीं हुआ। इसके चलते पूरी दुनिया में भारतीय शौर्य की तारीफ होती है।

अभी तक विदेश और रक्षा नीतियों में था घालमोल
शाह ने कहा कि आजादी के बाद से अब तक जब भी कांग्रेस की सरकार रही देश की रक्षा और विदेश नीतियों में घालमोल रहा। नरेंद्र मोदी के आने के बाद यह सही हुआ।

ऑपरेशन का समय कम करें, तकनीक में इजाफा की जरूरत
शाह ने एनएसजी के अफसरों को एनएसजी के विभिन्न ऑरपेशन के समय में कमी लाने के लिए कहा। बोले, इस तरह की ट्रेनिंग डिजाइन करना चाहिए जिससे जवान कम समय में दुश्मन के इरादों को फेल कर सके। जो भी आतंकवादी हमला करने के लिए आते हैं उनका लक्ष्य निर्धारित रहता है। वह ज्यादा से ज्यादा जान-माल की क्षति पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में एनएसजी के जवानों को इसे जल्द से जल्द फेल करने वाला ऑपरेशन करना चाहिए। शाह ने कहा कि इसके लिए बेहतर तकनीक का भी प्रयोग करना चाहिए।

सीएए के समर्थन में रैली को करेंगे संबोधित
देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच शाह रविवार को कोलकाता में सीएए के समर्थन में आयोजित एक रैली को संबोधित करेंगे। इसके जरिए शाह सीएए के खिलाफ लोगों के भ्रम को दूर करने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में चुनावी जनसभा का आगाज भी करेंगे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कोलकाता में एनएसजी जवानों को संबोधित करते गृह मंत्री अमित शाह


source /national/news/home-minister-amit-shah-in-west-bengal-inaugrates-nsg-special-complex-said-nsg-jawans-will-be-able-to-stay-with-their-families-for-100-days-in-a-year-central-government-is-making-policy-126880676.html

सिंगरौली में 2 मालगाड़ी आमने-सामने टकराईं, 3 लोको पायलट की मौत

सिंगरौली. एनटीपीसी की 2कोयला मालगाड़ी रविवार तड़केआपस में टकरा गईं।हादसे में 3 लोको पायलटों की मौत हो गई।बैढ़न इलाके के रिहन्द नगर में एक मालगाड़ी कोयला लेकर जा रही थी, जबकि दूसरी मालगाड़ी खाली लौट रही थी। दोनों की रफ्तार बहुत तेज थी।टक्कर के बाद दोनों ट्रेनों काआगे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे मालगाड़ी में सवार कर्मचारी अंदर ही फंस गए।सूचना मिलने के बाद मौके पर सीआईएसएफ, एसडीएम और पुलिस भी पहुंची।

टक्कर के बाद डिब्बे भी पटरी से उतर गए। भरी मालगाड़ी का डिब्बा खाली मालगाड़ी के इंजन पर गिरा,जिसमें 3 लोको पायलट सवार थे। बोगी से कोयला खाली कराने के बाद 2 क्रेन बोगी को हटा रही हैं।यह पहली बार है, जब इस ट्रैक पर ऐसा हादसा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल कोयला लाने-ले जाने वाली मालगाड़ियों के लिए ही होता है। इसमें बड़ी लापरवाही भी सामने आ रही है कि एक ही ट्रैक पर 2मालगाड़ियों को कैसे जाने दिया गया?



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
रेल हादसे के बाद एनटीपीसी की टीम और पुलिस राहत-बचाव अभियान में जुटी।
दोनों मालगाड़ियाें की रफ्तार तेज थी। टक्कर के बाद अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।
सिंगरौली में इस रेलवे ट्रैक का उपयोग कोयला लाने-ले जाने वाली मालगाड़ियों के लिए ही होता है।


source /mp/jabalpur/news/two-coal-freight-trains-collided-in-singrauli-three-piolet-stuck-in-train-126880163.html

पड़ोसियों के घर जलने से नहीं बचा पाई दिल्ली पुलिस, कई बार फोन करने पर भी नहीं पहुंची फोर्स

नई दिल्ली. खजूरी खास की मुख्य सड़क पर सुरक्षाबलों के जवान भारी संख्या में मौजूद हैं। आईपीएस अधिकारी मोहम्मद अली भी इनमें शामिल हैं, जो यहां मौजूद लोगों की शिकायत सुन रहे हैं और सवालों का जवाब दे रहे हैं। राहत सामग्री बांटती कुछ गाड़ियां ईंट-पत्थरों से भरी हुई सड़क पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं और कई लोग सामग्री पाने के लिए गाड़ियों के पीछे दौड़ रहे हैं। इस इलाके में हुई आगजनी के निशान चारों तरफ देखे जा सकते हैं। लेकिन कुछ गलियां इतनी ज्यादा जली हैं कि ध्यान खींच ले जाती हैं। ऐसी ही एक गली में कुछ अंदर जाने पर एक मकान नजर आता है, जिसके बाहर लगी नेम-प्लेट पर लिखा है ‘हृदेश कुमार शर्मा, दिल्ली पुलिस।’

यह मकान इसलिए भी सबसे अलग नजर आता है, क्योंकि इसके आसपास के कई मकान पूरी तरह जल चुके हैं, लेकिन इसमें आग नहीं लगी। ऐसे ही कई और मकान भी इस गली में मौजूद हैं, जिनके अगल-बगल के मकान तो जलकर खाक हो गए, लेकिन ये चुनिंदा मकान पूरी तरह सुरक्षित हैं। जल चुके मकान खुद ही इस बात की गवाही दे रहे हैं कि इस इलाके में दंगाइयों ने निशाना बनाकर एक ही समुदाय के घरों में आगजनी की। इस गली में रहने वाले हृदयेश कुमार शर्मा अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जो दिल्ली पुलिस में नौकरी करते हैं। यहां दिल्ली पुलिस के कई अन्य जवानों और अधिकारियों के भी घर मौजूद हैं। इसके बावजूद भी इस गली में भीषण आगजनी हुई।

जिस गली में दिल्ली पुलिस के इतने लोग रहते हैं वहां भी पुलिस समय से क्यों नहीं पहुंच सकी? यह सवाल करने पर परमजीत सिंह कहते हैं, ‘‘मैं भी इसी गली में रहता हूं, दिल्ली पुलिस से ही रिटायर हुआ। हमने उस दिन पुलिस को कितने फोन किए, ये आप हमारे कॉल रिकॉर्ड में देख लीजिए। कई-कई कॉल करने के घंटों बाद भी पुलिस यहां नहीं आई।’’

इसी गली में बनी फातिमा मस्जिद भी पूरी तरह जला दी गई है। इस मस्जिद से कुछ ही आगे उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक कृष्ण कुमार का घर है। कुमार मोहल्ले के ही कुछ अन्य लोगों के साथ घर के बाहर चारपाई डाले बैठे थे। उन्होंने बताया, ‘‘यहां 25 तारीख को आग लगाई गई, लेकिन 24 से ही माहौल बहुत खराब हो गया था। हमने उसी रात पुलिस को कई बार फोन किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 25 की सुबह दंगाई यहां घुस आए और उन्होंने कई मकान फूंक डाले।’’

इस गली में जो घर जले हैं उनमें सिर्फ पेट्रोल बम मारकर आग नहीं लगाई गई है, बल्कि घरों का ताला तोड़कर या लोहे की शटर काटकर स्कूटर-बाइक घरों के अंदर घुसाए गए और उनमें आग लगाई, ताकि ज्यादा फैल सके। करीब सभी जलाए मकानों में ऐसा किया गया। इसमें दंगाइयों को कई घंटों का समय लगा होगा। पर इस दौरान पुलिस नहीं पहुंच सकी, जबकि दिल्ली पुलिस के कई अधिकारी यहां रहते हैं। अपने ही पड़ोसियों के घर जलने से दिल्ली पुलिस रोक नहीं पाई।

जब यहां आग लगाई गई तब दिल्ली पुलिस के वे लोग कहां थे जो इस गली में रहते हैं? इस सवाल पर कृष्ण कुमार कहते हैं- ‘‘सभी लोगों की तैनाती दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में है। वे लोग अपनी ड्यूटी पर थे। उनके परिवार यहां थे, जब दंगा भड़का तो उन्हें भी हमारी तरह यहां से निकलना पड़ा। हमने शुरुआत में दंगाइयों को रोकने की बहुत कोशिश की। उन्होंने मुझे धक्का मारते हुए कहा कि अंकल आप हट जाइए, हम इनके घर नहीं छोड़ेंगे। हम अपनी जान बचाने के लिए गली से निकल गए।’’

खजूरी खास एक्स्टेंशन की यह गली उन चुनिंदा इलाकों में शामिल है, जहां सबसे योजनाबद्ध तरीके से आगजनी की गई। यहां सिर्फ मुस्लिम समुदाय के घरों को निशाना बनाया गया है, जबकि हिंदुओं के घर सुरक्षित हैं। इसके ठीक उलट बृजपुरी और शिव विहार में सिर्फ हिंदुओं के घर जले हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय के घर सुरक्षित हैं। इन सभी जगहों के पीड़ित समुदायों की शिकायत एक जैसी है कि दिल्ली पुलिस समय रहते बचाव के लिए नहीं पहुंची। जबकि आगजनी से कई-कई घंटे पहले ही यहां के तमाम लोग पुलिस को फोन करके बता चुके थे कि इलाके में माहौल बेहद खराब हो चुका है।

इन दंगों में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ कुछ पुलिस अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर भी कई लोगों की जान बचाई है। ऐसा ही एक नाम उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी नीरज जादौन का भी है। नीरज उत्तर प्रदेश में पुलिस अधीक्षक हैं। 25 फरवरी को वे दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर गश्त कर रहे थे। तभी उन्होंने बमुश्किल दो से तीन सौ मीटर दूर स्थित करावल नगर इलाके से गोली चलने की आवाज सुनी। यहां 40-50 लोगों की भीड़ गलियों में तोड़फोड़ कर रही थी। घरों में पेट्रोल बम फेंके जा रहे थे। ऐसे में नीरज तमाम प्रोटोकॉल तोड़ते हुए और अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाते हुए दिल्ली राज्य की सीमा में दाखिल हो गए और उन्होंने हथियारों से लैस दंगाइयों की भीड़ को खदेड़ दिया। इन दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस ने भी अगर नीरज जैसी सक्रियता दिखाई होती तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Delhi police could not save neighbors' house from burning, force did not reach even after many calls


source /national/news/delhi-violence-ground-report-delhi-police-couldnot-protect-our-neighbours-home-126880645.html

चीन में 573 नए मामले, 35 मौतें और हुईं; मलेशिया से लौटे भारतीय की केरल में आइसोलेशन वार्ड में मौत

बीजिंग. चीन में कोरोनावायरस का कहर कम नहीं हो रहा है। रविवार को हुबेई प्रांत में 35 मौतें और हुईं, जिसके बाद मरने वालों की संख्या 2,870 हो गई। नेशनल हेल्थ कमीशन के मुताबिक, संक्रमण के 573 नए मामले सामने आए हैं। कुल मामलों की संख्या 79,824 हो गई है। वहीं, दक्षिण कोरिया में संक्रमण के 376 नए मामले सामने आए। अब कुल संख्या 3,526 हो गई है, जो कि चीन के बाहर इस संक्रमण का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस बीच, एर्नाकुलम स्थित अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीज की मौत हो गई। डॉक्टरों की टीम जांच में जुटी है क्योंकि उसकीरिपोर्ट निगेटिव आई थी।

हालांकि, जनवरी-फरवरी के मुकाबले संक्रमण के नए मामलों की संख्या में कमी आई है। कोरिया के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन द्वारा जारी बयान के मुताबिक, संक्रमण के करीब 90% मामले डायगु में थे, जो कि नॉर्थ ग्यॉन्गसेंग प्रांत में है।

डॉक्टर ने कहा- मरने वाले को डायबिटीज भी थी
बीते कुछ दिनों में मलेशिया में कोरोनावायरस के 25 मामले सामने आए हैं। वहां से हाल ही में लौटे केरल निवासी व्यक्ति की मौत रविवार को हुई। उसे एर्नाकुलम के अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था। उसकी जांच भी की गई थी। पहली बार में रिपोर्ट निगेटिव आई थी। बावजूद इसके उसकी मौत हो गई। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जब वह कोच्चि पहुंचा था, तो काफी बीमार था। यही वजह है कि व्यक्ति के और सैंपल लिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए भेजा गया है ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि उसकी मौत का कारण कोरोनावायरस है या कुछ और। डॉक्टर के मुताबिक, मरने वाले व्यक्ति को डायबिटीज भी थी।

हम मेक्सिको सीमा बंद करने पर विचार कर रहे हैं: ट्रम्प

इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनावायरस से बचाव हेतु आयोजित कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए हम दक्षिण सीमा (मेक्सिको) को बंद करने पर विचार कर रहे हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीज की मौत होने के मामले पर उन्होंने कहा- दुर्भाग्य से महिला की मौत इस वायरस के चलते हो गई। वह एक शानदार महिला थीं। मेडिकल फेज में वह रिस्क पर थी। हालांकि, किसी को भी चिंता की जरूरत नहीं है। हम किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। यदि आप स्वस्थ हैं तो आपको केवल एक प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके बाद आपको चिंता की जरूरत नहीं है।

इससे पहले अमेरिकी सरकार ने नागरिकों को साउथ कोरिया और इटली के कुछ स्थानों पर यात्रा से बचने के निर्देश जारी किए हैं। अमेरिका में अब तक 22 मामले सामने आ चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति थोड़ी मुश्किल है, मगर इस मामले में हम आगे बढ़ चुके हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
चीन के शहर वुहान से कोरोनावायरस फैलना शुरू हुआ।


source https://www.bhaskar.com/international/news/there-were-573-new-cases-35-deaths-and-more-in-china-indian-dies-in-isolation-ward-in-kerala-126880306.html

दंगे में आतंकियों की स्लीपर सेल पर भी शक, जांच एनआईए काे देने की तैयारी

नई दिल्ली (मुकेश काैशिक/नीरज आर्या).दिल्ली दंगे की जांच में शक की सुई आतंकी संगठनाें की स्लीपर सेल की ओर घूम रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 36 घंटे भारत में रहने के दाैरान हिंसा चरम पर थी। उनकी वापसी के तुरंत बाद हिंसा कम होने लगी। जांच एजेंसियां इसे इत्तेफाक नहीं मान रहीं। हिंसा की टाइमिंग और व्यापकता को देखते हुए यह महज दंगे का मामला नहीं माना जा रहा। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआतीजांच में बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के संकेत मिले हैं।ऐसे में जांच एनआईए को सौंपी जाएगी।

हालांकि, गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है। एनआईएआतंकवाद के मामलाें की जांच करती है। सूत्रों के मुताबिक,हिंसाग्रस्त इलाकों में आतंकियों की स्लीपर सेल थीं। ट्रम्प की यात्रा के दौरान इन्हें सक्रिय किया गया। गाेली लगने से 13 माैतें होना भी आतंकी साजिश का संकेत माना जा रहा है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका भी जांची जा रही है। दूसरी तरफ, दिल्ली में हालात सामान्य हाे रहे हैं। धारा 144 में शनिवार सुबह 4 घंटे की छूट दी गई। हालांकि, स्कूल 7 मार्च तक बंद रहेंगे। दंगे में अभी तक 42 माैतें हाे चुकी हैं।


फेशियल रिकग्निशन से दंगाइयों को पहचान रही पुलिस, लिस्ट तैयार हुई

पुलिस और आईबी दंगाइयाें के घर चिह्नित कर रही हैं। फेशियल रिकग्निशन टेक्नाेलाॅजी से भी दंगाइयाें को पहचानकर सूची बनाई जा रही है। दूसरी तरफ, दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दी गई। कांग्रेस ने पुलिस पर एकतरफा जांच का आरोप लगाया है। पार्टी ने प्रदर्शनकारियाें पर गंभीर आरोप वाले सभी मामलाें की जांच के लिए सुप्रीम काेर्ट से एमिकस क्यूरेनियुक्त करने की मांग की है।


हिंसा के आराेपियाें काे कैम्पस में न बुलाएं: जेएनयू प्रशासन
जेएनयू के वीसी प्राे. जगदेश कुमार ने छात्राें काे निर्देश दिए हैं कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के आरोपियों काे कैंपस में रहने के लिए न बुलाएं। कुछ छात्राें ने ऐसे लाेगाें से कैंपस में आकर रहने का खुला आह्वान किया है। वीसी ने कहा कि ये वही छात्र हैं, जो दावा करते थे कि जनवरी में बाहरी लाेगाें ने कैंपस में आकर हिंसा काे अंजाम दिया था।

जांच में बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के संकेत

साजिश : कई जगह एकसाथ हिंसा भड़की, दंगाइयों ने गोली चलाईं
50 नंबराें की जांच से पता चला कि 30 से 40 वॉट्सऐप ग्रुपाें से भड़काऊ मैसेज भेजे गए। दंगाइयों ने 32 और 9 एमएम की पिस्टल इस्तेमाल की। कई जगह दोपहर 2-3 बजे के बीच एक साथ हिंसा हुई।


जांच : केस बढ़ रहे, एनआईए के विशेषज्ञों से जांच जरूरी
पुलिस अभी एफआईआर दर्ज करने में जुटी है। 163 केस दर्ज हुए हैं। पुलिस को 550 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। यानी केस और बढ़ेंगे। सबकी जांच के लिए एनआईए की विशेषज्ञता जरूरी है।


दायरा : एनआईए जांच करेगी कि बाहर से कौन-कौन आया
एनआईए की जांच का दायरा दिल्ली से बाहर जाएगा। एजेंसी पता लगा पाएगी कि दंगों में इस्तेमाल हथियार कहां से आए थे। साथ ही कौन-कौन से बाहरी तत्व इसमें शामिल थे।

वॉट्सऐप से 100 संदिग्ध नंबरों का ब्योरा मांगा
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने 100 से अधिक संदिग्ध मोबाइल नंबर वॉट्सऐप काे सौंपकर उनके मैसेज का ब्योरा मांगा है। वहीं, दिल्ली सरकार भी फेक न्यूज और भड़काऊ मैसेज के बारे में शिकायतें लेने के लिए वॉट्सएप नंबर जारी करने पर विचार कर रही है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में 42 जान चली गईं।


source https://www.bhaskar.com/delhi/delhi-ncr/news/suspicion-of-terrorists-sleeper-cell-in-riots-preparations-to-give-investigation-to-nia-126872988.html

दंगे में आतंकियों की स्लीपर सेल पर भी शक, जांच एनआईए काे देने की तैयारी

नई दिल्ली (मुकेश काैशिक/नीरज आर्या).दिल्ली दंगे की जांच में शक की सुई आतंकी संगठनाें की स्लीपर सेल की ओर घूम रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 36 घंटे भारत में रहने के दाैरान हिंसा चरम पर थी। उनकी वापसी के तुरंत बाद हिंसा कम होने लगी। जांच एजेंसियां इसे इत्तेफाक नहीं मान रहीं। हिंसा की टाइमिंग और व्यापकता को देखते हुए यह महज दंगे का मामला नहीं माना जा रहा। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआतीजांच में बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के संकेत मिले हैं।ऐसे में जांच एनआईए को सौंपी जाएगी।

हालांकि, गृह मंत्रालय ने इसकी पुष्टि नहीं की है। एनआईएआतंकवाद के मामलाें की जांच करती है। सूत्रों के मुताबिक,हिंसाग्रस्त इलाकों में आतंकियों की स्लीपर सेल थीं। ट्रम्प की यात्रा के दौरान इन्हें सक्रिय किया गया। गाेली लगने से 13 माैतें होना भी आतंकी साजिश का संकेत माना जा रहा है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका भी जांची जा रही है। दूसरी तरफ, दिल्ली में हालात सामान्य हाे रहे हैं। धारा 144 में शनिवार सुबह 4 घंटे की छूट दी गई। हालांकि, स्कूल 7 मार्च तक बंद रहेंगे। दंगे में अभी तक 42 माैतें हाे चुकी हैं।


फेशियल रिकग्निशन से दंगाइयों को पहचान रही पुलिस, लिस्ट तैयार हुई

पुलिस और आईबी दंगाइयाें के घर चिह्नित कर रही हैं। फेशियल रिकग्निशन टेक्नाेलाॅजी से भी दंगाइयाें को पहचानकर सूची बनाई जा रही है। दूसरी तरफ, दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दी गई। कांग्रेस ने पुलिस पर एकतरफा जांच का आरोप लगाया है। पार्टी ने प्रदर्शनकारियाें पर गंभीर आरोप वाले सभी मामलाें की जांच के लिए सुप्रीम काेर्ट से एमिकस क्यूरेनियुक्त करने की मांग की है।


हिंसा के आराेपियाें काे कैम्पस में न बुलाएं: जेएनयू प्रशासन
जेएनयू के वीसी प्राे. जगदेश कुमार ने छात्राें काे निर्देश दिए हैं कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के आरोपियों काे कैंपस में रहने के लिए न बुलाएं। कुछ छात्राें ने ऐसे लाेगाें से कैंपस में आकर रहने का खुला आह्वान किया है। वीसी ने कहा कि ये वही छात्र हैं, जो दावा करते थे कि जनवरी में बाहरी लाेगाें ने कैंपस में आकर हिंसा काे अंजाम दिया था।

जांच में बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश के संकेत

साजिश : कई जगह एकसाथ हिंसा भड़की, दंगाइयों ने गोली चलाईं
50 नंबराें की जांच से पता चला कि 30 से 40 वॉट्सऐप ग्रुपाें से भड़काऊ मैसेज भेजे गए। दंगाइयों ने 32 और 9 एमएम की पिस्टल इस्तेमाल की। कई जगह दोपहर 2-3 बजे के बीच एक साथ हिंसा हुई।


जांच : केस बढ़ रहे, एनआईए के विशेषज्ञों से जांच जरूरी
पुलिस अभी एफआईआर दर्ज करने में जुटी है। 163 केस दर्ज हुए हैं। पुलिस को 550 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। यानी केस और बढ़ेंगे। सबकी जांच के लिए एनआईए की विशेषज्ञता जरूरी है।


दायरा : एनआईए जांच करेगी कि बाहर से कौन-कौन आया
एनआईए की जांच का दायरा दिल्ली से बाहर जाएगा। एजेंसी पता लगा पाएगी कि दंगों में इस्तेमाल हथियार कहां से आए थे। साथ ही कौन-कौन से बाहरी तत्व इसमें शामिल थे।

वॉट्सऐप से 100 संदिग्ध नंबरों का ब्योरा मांगा
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने 100 से अधिक संदिग्ध मोबाइल नंबर वॉट्सऐप काे सौंपकर उनके मैसेज का ब्योरा मांगा है। वहीं, दिल्ली सरकार भी फेक न्यूज और भड़काऊ मैसेज के बारे में शिकायतें लेने के लिए वॉट्सएप नंबर जारी करने पर विचार कर रही है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में 42 जान चली गईं।


source /delhi/delhi-ncr/news/suspicion-of-terrorists-sleeper-cell-in-riots-preparations-to-give-investigation-to-nia-126872988.html

ट्रम्प ने फिर मोदी की तारीफ की, साउथ कैरोलिना में कहा- वे शानदार व्यक्ति, भारत के लोग उन्हें बहुत प्यार करते हैं

साउथ कैरोलिना. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को साउथ कैरोलिना में रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा- वे एकशानदार इंसान हैं, देश के लोग उन्हें बहुत प्यार करते हैं। रैली मेंट्रम्प ने भारत यात्रा और इस दौरान हुए अनुभवों को भी साझा किया। 24 फरवरी को मोटेरा स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रम्प’ के दौरान ट्रम्प ने 2.30 मिनट मोदी की तारीफ की थी।

ट्रम्प ने कहा- पिछले हफ्ते अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में सवा लाख लोगों कोसंबोधित करने के बाद अब मैं कभी भी जनसमूहको लेकर इतना उत्साहित नहीं हो पाऊंगा, जितना वहां था। मैं आपको बताना चाहता हूं कि वह सबकुछ कमाल का था।

वहां 15 लाख लोग मौजूद थे: ट्रम्प

उन्होंने कहा-सामान्य रूपमैं अपनेसमर्थकोंको लेकर बात करना पसंद करता हूं, क्योंकि मुझे ऐसाजनसमूहमिलताहै,जो किसी को नहीं मिलता। अभी मैं जहां से लौटा हूं,वहां 140, 50 या 60 हजार लोग थे। अब मैं यहां आया हूं। आप खुद सोचिए कि वहां15 लाख लोग थे। हमारे पास 350 हैं। हम भी अच्छा ही कर रहे हैं।

वहां के लोग आपसे प्यार करते हैं: ट्रम्प

ट्रम्प ने कहा- मैं यहां जुटे लोगों को प्यार करता हूं। मैं उस जनसमूहको भी प्यार करता हूं। आपको कह सकता हूं कि उनके पास बहुत प्यार है। उनके पास बड़े नेता हैं। उनके पास इस देश के लोगों के लिए बेहद प्यार है। वह एक यादगार दौरा था।

मोटेरा स्टेडियम में हुआ था ट्रम्प का स्वागत

ट्रम्प के साथ भारत दौरे पर पत्नी मेलानिया और बेटी इवांका भी आए थे। 36 घंटे की भारत यात्रा के दौरान ट्रम्प परिवार ने अहमदाबाद, आगरा के साथ दिल्ली मेंकार्यक्रमों में हिस्सा लिया। ट्रम्प के सम्मान में अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम हुआथा।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ट्रम्प ने कहा- भारत के लोग अमेरिकी लोगों को बहुत प्यार करते हैं।


source https://www.bhaskar.com/international/news/us-president-donald-trump-says-may-never-be-excited-about-a-crowd-again-after-going-to-india-126878997.html

मंदिर के लिए धनवर्षा: 110 मिनट में 136 करोड़ की मदद; 40 करोड़ कम पड़े तो ऐलान होते ही 17 मिनट में जुटे

अहमदाबाद (संकेत ठाकर ).गुजरात में अहमदाबाद के जासपुर में 1000 करोड़ रु. की लागत से उमिया माताजी का विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर बनने जा रहा है। मंदिर 100 बीघा में बनेगा। यह 431 फीट ऊंचा होगा। मंदिर निर्माण के लिए शनिवार को दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रमपूरा हुआ।मंदिर निर्माण के लिए सिर्फ 110 मिनट में 136 करोड़ रुपए श्रद्धालुओं ने दान दे दिए। दिलचस्प बात यह है कि अंतिम 17 मिनट में 40 करोड़ रुपए आए।

दरअसल,मंदिर के दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रम में विश्व उमिया फाउंडेशन ने 125 करोड़ रुपए का आर्थिक सहयोग जुटाने का लक्ष्य तय किया था। शनिवार को जब समारोह का समापन हो रहा था, तब पता चला कि 40 करोड़ रुपए कम पड़ रहे हैं। तभी मुख्य संयोजक आरपी पटेल ने मंच से कहा- ‘‘40 करोड़ रुपए की व्यवस्था कम पड़ रही है।’’ इसके बाद देखते ही देखते 17 मिनट में ही 40 करोड़ रुपए का चंदा आ गया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
मंदिर निर्माण के लिए शनिवार को दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रम का समापन हुआ।


source https://www.bhaskar.com/gujarat/news/136-crores-help-in-110-minutes-40-crores-if-it-falls-short-gather-in-17-minutes-as-soon-as-the-announcement-is-made-126873005.html

मंदिर के लिए धनवर्षा: 110 मिनट में 136 करोड़ की मदद; 40 करोड़ कम पड़े तो ऐलान होते ही 17 मिनट में जुटे

अहमदाबाद (संकेत ठाकर ).गुजरात में अहमदाबाद के जासपुर में 1000 करोड़ रु. की लागत से उमिया माताजी का विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर बनने जा रहा है। मंदिर 100 बीघा में बनेगा। यह 431 फीट ऊंचा होगा। मंदिर निर्माण के लिए शनिवार को दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रमपूरा हुआ।मंदिर निर्माण के लिए सिर्फ 110 मिनट में 136 करोड़ रुपए श्रद्धालुओं ने दान दे दिए। दिलचस्प बात यह है कि अंतिम 17 मिनट में 40 करोड़ रुपए आए।

दरअसल,मंदिर के दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रम में विश्व उमिया फाउंडेशन ने 125 करोड़ रुपए का आर्थिक सहयोग जुटाने का लक्ष्य तय किया था। शनिवार को जब समारोह का समापन हो रहा था, तब पता चला कि 40 करोड़ रुपए कम पड़ रहे हैं। तभी मुख्य संयोजक आरपी पटेल ने मंच से कहा- ‘‘40 करोड़ रुपए की व्यवस्था कम पड़ रही है।’’ इसके बाद देखते ही देखते 17 मिनट में ही 40 करोड़ रुपए का चंदा आ गया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
मंदिर निर्माण के लिए शनिवार को दो दिवसीय शिलान्यास कार्यक्रम का समापन हुआ।


source /gujarat/news/136-crores-help-in-110-minutes-40-crores-if-it-falls-short-gather-in-17-minutes-as-soon-as-the-announcement-is-made-126873005.html

टैरिफ महंगा होने से हम सिंगल सिम की ओर, वोडा-आइडिया के सर्वाधिक 36 लाख ग्राहक घटे

नई दिल्ली (धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया).टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) की रिपोर्ट के अनुसार 31 दिसंबर 2019 तक देश में मोबाइल ग्राहकों (सब्सक्राइबर) की संख्या में 31.5 लाख की कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर तक देश में कुल मोबाइल यूजर्स की संख्या 115.14 करोड़ रही जबकि टेलीफोन यूजर्स की संख्या 2.1 करोड़ थी। जहां शहरों में मोबाइल ग्राहकों की संख्या में कमी आई है वहीं गांवों में यह संख्या बढ़ी है।

शहरों में मोबाइल यूजर 33.6 लाख कम होकर 64.397 करोड़ रहे। जबकि गांवों में यूजर्स की संख्या 50.746 करोड़ रही, इसमें 2.1 लाख ग्राहक जुड़े। सर्वाधिक 36.44 लाख उपभोक्ता वोडाफोन-आइडिया के कम हुए हैं। इस संबंध में कंपनी प्रवक्ता ने बताया कि ग्राहक संख्या कम होने का मुख्य कारण हमारा एक्टिव सब्सक्राइबर काउंटिंग का तरीका बदलना था। हमने ग्राहक के सक्रिय रहने के 120 दिन के नियम को 90 दिन कर दिया।


मोबाइल विशेषज्ञ और टेकआर्क के फाउंडर एंड चीफ एनालिस्ट फैसल कौसा ने कहा कि संख्या कम होने के पीछे प्लान महंगे होना है। कई सरकारी अनिवार्यताओं के कारण भी लोग एक ही सिम रखना पसंद कर रहे हैं। कंपनियों ने दिसंबर अंत में सेवाओं के दाम बढ़ाए हैं, एेसे में ट्राई की जनवरी माह की रिपोर्ट में संख्या और कम हो सकती है।

सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन एस. मैथ्यूस ने कहा कि ग्राहकों की संख्या में गिरावट के वैश्विक और घरेलू कई कारण हैं। जैसे सब्सक्राइबर्स के पास कई सिम थीं और अब वह एक मोबाइल नंबर की ओर लौट रहा है।मैथ्यूस ने कहा कि साथ ही जो नंबर प्रयोग में नहीं आते हैं उनको हटाना। जैसे कुछ वर्ष पहले कंपनी ने मिनिमम रिचार्ज प्लान बाजार में उतारे थे ऐसे में सस्ते पैक चाहने वाले ग्राहकों के द्वारा भी मोबाइल का प्रयोग बंद किया गया है।

मध्यप्रदेश में ग्राहक बढ़े, बिहार में घटे

  • देश में 31 दिसंबर तक मोबाइल यूजर्स की कुल संख्या 115.14 करोड़ रही इनमें से 98.26 करोड़ ग्राहक सक्रिय थे।
  • नवंबर से दिसंबर 2019 की तुलना में जम्मू-कश्मीर (4.91 लाख), मप्र (2.33 लाख) और उप्र-पूर्व 1.49 लाख में ग्राहक सबसे ज्यादा बढ़े। वहीं उप्र-पश्चिम (6.78 लाख), बिहार (4.31 लाख) और प. बंगाल (3.02 लाख) में सर्वाधिक घटेे।
  • दिसंबर में 34.6 लाख ग्राहकों ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के लिए आवेदन किया। कुल एमएनपी की संख्या नवंबर-19 मेंे 46.66 करोड़ से बढ़कर 47.01 करोड़ हो गई।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
हां शहरों में मोबाइल ग्राहकों की संख्या में कमी आई है वहीं गांवों में यह संख्या बढ़ी है।


source /national/news/due-to-the-tariff-being-expensive-we-moved-towards-single-sim-voda-idea-customers-decreased-by-36-million-126878659.html

केंद्रीय मंत्री घुसपैठियों को देश से खदेड़ने की बात कह रहे, पर जम्मू में रोहिंग्याओं को स्थानीय लोगों पर तरजीह मिल रही

जम्मू. मोदी सरकार म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की लगातार बात कर रही है, लेकिन जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जेएमसी) में स्थानीय लोगों के मुकाबले ऐसे अवैध प्रवासियों को तरजीह मिल रही है। करीब 200 रोहिंग्या मुसलमान जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में दिहाड़ी मजदूर हैं, जो नालियों की सफाई का काम करते हैं। इन्हें हर रोज 400 रुपए मिलते हैं। जबकि, इसी काम के लिए स्थानीय मजदूरों को 225 रुपए ही मिलते हैं। ठेकेदारों ने इन रोहिंग्याओं को लाने-ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट व्हीकल का इंतजाम भी किया है। काम पर जाने से पहले ये मजदूर स्थानीय जेएमसी सुपरवाइजर के ऑफिस में अटेंडेंस भी लगाते हैं।


दैनिक भास्कर से बातचीत में जेएमसी के सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रिंकू गिल बताते हैं, ‘‘जम्मू में नालों की सफाई के लिए ठेकेदारों के पास करीब 200 रोहिंग्या काम कर रहे हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें "नाला गैंग' कहते हैं। इन्हें 3 से 5 फीट की गहरी नालियों की सफाई करनी होती है। इसके लिए हर व्यक्ति को रोज 400 रुपए दिए जाते हैं।’’रोहिंग्या पर सरकार के बयानों का जिक्र करते हुए गिल कहते हैं, "एक तरफ सरकार रोहिंग्याओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताती है। दूसरी ओर जेएमसी में स्थानीय लोगों की अनदेखी कर इन्हें रखा जा रहा है।’’स्थानीय मजदूरों के समर्थन पर गिल आगे कहते हैं "अगर ठेकेदार बाहरी लोगों को काम पर रख रहे हैं, तो सभी को समान मजदूरी दी जानी चाहिए। स्थानीय मजदूरों से डबल शिफ्ट में काम कराया जाता है, लेकिन उन्हें मजदूरी रोहिंग्याओं की तुलना में कम मिलती है।"


इस बारे में जब जेएमसी के मेयर चंदर मोहन गुप्ता से बात की गई, तो उन्होंने कहा- जिस तरह से सरकार रोहिंग्या और अन्य सभी अवैध अप्रवासियों को बाहर करना चाहती है, उसी तरह से हम भी जम्मू से इन्हें बाहर कर रहे हैं। गुप्ता दावा करते हैं कि जेएमसी में किसी भी रोहिंग्या को काम पर नहीं रखा गया है। वे कहते हैं कि हम मजदूरों-कर्मियों की जांच करते हैं और यहां तक कि जेएमसी से जुड़े एनजीओ भी मजदूरों का रिकॉर्ड रखते हैं।


देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या

हजारों की संख्या में रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने शिविर बनाकर रह रहे हैं। ये बिना किसी रोकटोक के आर्मी कैम्प, पुलिस लाइन या रेलवे लाइन्स के नजदीक अपने तम्बू लगाते जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं, इनका एक चौथाई हिस्सा यानी 10 हजार से ज्यादा अकेले जम्मू और इससे सटे साम्बा,पुंछ, डोटा और अनंतनाग जिले में हैं। पिछले एक दशक में म्यांमार से बांग्लादेश होते हुए ये रोहिंग्या जम्मू को अपना दूसरा घर बना चुके हैं।


गृह विभाग ने रोहिंग्याओं पर जारी रिपोर्टकी थी

2 फरवरी 2018 को राज्य विधानसभा में पेश हुई जम्मू-कश्मीर गृह विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 5 जिलों के 39 अलग-अलग स्थानों पर रोहिंग्याओं के तम्बू मिले थे। इनमें 6,523 रोहिंग्या पाए गए थे। इनमें से 6,461 जम्मू में और 62 कश्मीर में थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू के बाहरी इलाके सुंजवान क्षेत्र में मिलिट्री स्टेशन के पास भी रोहिंग्याओं के तम्बू थे। इनमें 48 रोहिंग्या परिवारों के 206 सदस्य पाए गए। 10 फरवरी, 2018 को जब आतंकवादियों ने सेना के सुंजवान कैम्प पर हमला किया, तब सुरक्षा बलों ने गंभीर चिंता जताई थी कि इन आतंकवादियों को अवैध प्रवासियों ने शरण दी होगी। हालांकि, सबूत नहीं मिले और किसी भी अवैध अप्रवासी की जांच नहीं की गई। गृह विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 150 परिवारों के 734 रोहिंग्या जम्मू के चन्नी हिम्मत क्षेत्र में पुलिस लाइन्स के सामने अस्थायी शेड बनाकर रह रहे हैं। नगरोटा में सेना के 16 कोर मुख्यालय के आसपास भी कम से कम 40 रोहिंग्या रह रहे हैं। जम्मू के नरवाल इलाके में एक कब्रिस्तान में भी 250 रोहिंग्या रह रहे हैं। इनकी संख्या धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बढ़ती ही जा रही है।


रोहिंग्याओं की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा: दावा

स्थानीय लोग रोहिंग्याओं को वापस भेजने की मांग लगातार कर रहे हैं। इनका कहना है कि रोहिंग्याओं की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। इनका बायो मैट्रिक्स डेटा भी अब तक नहीं लिया गया है। पिछले साल रोहिंग्याओं की वास्तविक संख्या का डेटा जुटाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक विशेष अभियान शुरू किया था। केंद्र सरकार के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजने के लिए उनका बायोमैट्रिक्स डेटा लेना था। यह डेटा जुटाने के दौरान पुलिसकर्मियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें इन रोहिंग्याओं के विरोध का सामना करना पड़ा।


सीवरेज लाइन बिछाने का काम करते हैं रोहिंग्या

ज्यादातर रोहिंग्या कचरा बीनने और साफ-सफाई के काम करते हैं। ठेकेदार इन्हें केबल और सीवरेज लाइन बिछाने के लिए मजदूरी पर रखते हैं। महिलाएं फैक्ट्रियों में काम करती हैं। भटिंडी क्षेत्र में इनका अपना बाजार है। यहां युवा एक साथ बैठे अपने मोबाइल फोन पर गेम खेलते और टीवी देखते देखे जाते हैं। युवा यहां इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन सुधारने की दुकानें भी चलाते हैं। कुछ रोहिंग्या सब्जी के ठेले और मांस की दुकानें लगाते हैं। इनके शिविरों में मस्जिदें भी हैं और कश्मीरी एनजीओ द्वारा संचालित स्कूल भी खुले हुए हैं। बच्चे सरकारी स्कूलों और स्थानीय मदरसे में भी पढ़ते हैं।

जम्मू में रोहिंग्या दिहाड़ी मजदूर साफ-सफाई के अलावा केबल और सीवरेज लाइन बिछाने का काम भी करते हैं।


केन्द्रीय मंत्री रोहिंग्याओं को बाहर करने के बयान देते रहे हैं

मोदी सरकार में कई सीनियर मंत्री यह दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार देश के कोने-कोने से अवैध घुसपैठियों की पहचान कर अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक,उन्हें वापस उनके देश भेजेगी। गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में सबसे आगे रहे हैं। पिछले साल उन्होंने चुनावी रैलियों में घुसपैठियों को बाहर करने की बात लगातार कही। संसद में भी वे इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार का रुख साफ कर चुके हैं। 17 जुलाई, 2019 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा था कि यह एनआरसी था, जिसके आधार पर भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई है। शाह ने कहा था, "असम में हुई एनआरसी की कवायद असम समझौते का हिस्सा है और देशभर में एनआरसी लाना यह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में शामिल था। इसी आधार पर हम चुनकर दोबारा सत्ता में आए हैं। सरकार देश के एक-एक इंच से घुसपैठियों की पहचान करेगी और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उन्हें बाहर करेगी।"


हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर 22 दिसंबर को हुई रैली में कहा था, ‘‘हमारी सरकार बनने के बाद से आज तक एनआरसी शब्द की कभी चर्चा तक नहीं हुई। असम में भी हमने एनआरसी लागू नहीं किया था, जो भी हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ।’’ केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 3 जनवरी को दिए बयान में कहा था, ‘‘नागरिकता संशोधन कानून से रोहिंग्याओं को किसी तरह का फायदा नहीं होगा। वे किसी भी तरह से भारत केनागरिक नहीं हो सकते। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले हर रोहिंग्या को वापस जाना ही होगा।’’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Kashmir Rohingya Muslims | Jammu Kashmir Rohingya Muslims Earning Ground Report Latest News and Updates On Narendra Modi Govt, Amit Shah


source https://www.bhaskar.com/db-originals/news/jammu-kashmir-rohingya-muslims-earning-ground-report-latest-news-updates-narendra-modi-govt-amit-shah-126875696.html

लखनऊ में 43 तो कानपुर में 53 दिन से जारी धरना, अलीगढ़ में हिंसा भी हुई; सभी बोले- सीएए हटने के बाद ही हटेंगे

लखनऊ. सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से ज्यादा समय से धरना जारी है। इसी की तर्ज पर यूपी के 7 शहरों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। लखनऊ के घंटाघर पर चल रहे प्रदर्शन में इन दिनों परीक्षाओं की वजह से भीड़ कम हुई है। लेकिन, प्रदर्शन की सबसे दर्दनाक तस्वीर भी यहीं से सामने आई है। यहां प्रदर्शन में बैठी लड़की बारिश में भीगकर बीमार हुई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। कानपुर में धरने पर बैठी महिलाओं को पुलिस ने हटाया तो उन्होंने सड़क पर कब्जा कर लिया। मजबूर होकर प्रशासन को पार्क में धरना देने की अनुमति देनी पड़ी। अलीगढ़ में चल रहे प्रदर्शन के दौरान माहौल बिगड़ा तो वहां इंटरनेट बंद करना पड़ा था। मुरादाबाद में चल रहे प्रदर्शन के दौरान हुए हंगामे के बाद प्रशासन ने धरने में शामिल शायर इमरान प्रतापगढ़ी को 1 करोड़ 4 लाख रु. का नोटिस दिया। सहारनपुर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है तो प्रयागराज में धरनास्थल पर बारिश का पानी भरने के बाद भी महिलाएं हटी नहीं। आजमगढ़ के बिलिरियागंज कस्बे में धरने पर बैठी महिलाओं को पुलिस ने लाठी मारकर भगा दिया। इन महिलाओं से मिलने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पहुंची थीं। पढ़िए यूपी के 7 शहरों से ग्राउंड रिपोर्ट...

#लखनऊ: महिलाओं ने बनाया सांकेतिक डिटेंशन सेंटर

लखनऊ में सांकेतिक हिरासत केंद्र बनाया गया है।

लखनऊ के घंटाघर पर 17 जनवरी से प्रदर्शन जारी है। हम यहां शाम 5 बजे के आसपास पहुंचे। 43 दिन से चल रहे धरने में महिलाओं की संख्या आम दिनों से काफी कम नजर आ रही है। महिलाओं ने बताया- इस समय बच्चों की परीक्षा चल रही है, इस वजह से महिलाएं थोड़ा व्यस्त हो गई हैं। यहां महिलाओं ने सांकेतिक डिटेंशन सेंटर भी बनाया है। बगल में भारत के नक्शे का बड़ा कटआउट भी लगा है। कुछ महिलाएं रंगोली तो कुछ चार्ट पेपर पर नए-नए स्लोगन्स लिख रही हैं। फखरुद्दीन की बेटी तैय्यबा बीए की छात्रा थी। वह भी घंटाघर पर अन्य महिलाओं के साथ धरने पर बैठी थी। ठंड में हुई बारिश में भीगने से उसकी तबियत बिगड़ गई। पिछले रविवार को उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। फखरुद्दीन बेटी को वकील बनाना चाहते थे। फखरुद्दीन कहते हैं- तैय्यबा कहती थी "पापा मैं आपका ख्वाब पूरा करूंगी" मेरी बेटी मेरा ख्वाब पूरा कर गई, पूरे हिंदुस्तान में उसका नाम हो गया।'' प्रदर्शन के दौरान सुर्खियोंमें आई शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया कहती हैं कि यह सही है कि लखनऊ में धरना शाहीनबाग की तर्ज पर शुरू हुआ था। लेकिन, शाहीनबाग अगर किसी बीच के रास्ते पर उठ जाता है तो हम तब भी नहीं उठेंगे। हम तब तक बैठेंगे जब तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर की वापसी नहीं हो जाती है। प्रशासन ने महिलाओं के प्रदर्शन से जुड़ी 4 एफआईआर की है, जिसमें 298 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

#कानपुर: विरोध के आगे झुका प्रशासन, पार्क में धरना देने की इजाजत दी

कानपुर में प्रदर्शन के दौरान पोस्टर हाथ में लेकर भाईचारे का संदेश देती मुस्लिम लड़की।

कानपुर के मोहम्मद अली पार्क में सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं का कहना है कि दिल्ली में जिन्होंने भी दंगा किया,वह हिंदुस्तानी नहीं हो सकते हैं। महिलाओं का कहना है कि सीएए के विरोध की आड़ में दंगा करने वाले साजिशकर्ता हैं, जो देशभर में तमाम जगह शांति से बिल का विरोध करने बैठे लोगों को बदनाम करना चाहते हैं। 53 दिन से कानपुर के मोहम्मद अली पार्क में धरना दे रही महिलाओं की संख्या और उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आई है। 9 फरवरी को पुलिस ने महिलाओं को पार्क से खदेड़ा तो महिलाएं चमनगंज सड़क रोककरबैठ गईं। मुख्य सड़क बंद होने से स्कूल, दुकानें और यातायात पूरी तरह ठप हुआ। पुलिस को मजबूरन पार्क में धरना देने की अनुमति देनी पड़ी। पुलिस ने 7 फरवरी को 80 लोगों को नोटिस जारी किया था जबकि 200 लोगों पर शांतिभंग की कार्रवाई की है।


#अलीगढ़: हिंसा की चपेट में आया धरना, इंटरनेट बंद करना पड़ा

अलीगढ़ में चल रहा प्रदर्शन कई बार हिंसक हुआ।

ईदगाह पर महिलाओं का धरना चल रहा है। बीते रविवार को महिलाओं ने ईदगाह से 1 किमी दूर कोतवाली के सामने धरना शुरू करने के लिए रास्ता बंद कर दिया, जिस पर पुलिस ने आपत्ति जताई। हालत बेकाबू होने लगे तो शहर काजी ने आकर मामला संभालना चाहा,लेकिन उसी बीच भीड़ से किसी ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिससे हालात बिगड़ गए। युवक को गोली लगी, पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई गई, कई पुलिसवाले घायल हुए। प्रशासन को इंटरनेट भी बंद करना पड़ा। अलीगढ़ में ईदगाह से तकरीबन 5 किमी दूर अलग-अलग दिशाओं में दो धरने और चल रहे हैं, जिनमेंस्थानीय महिलाएं लगातार हिस्सा ले रहीहैं। इस धरना प्रदर्शन को लेकर पुलिस की तरफ से अब तक 6 एफआईआर की जा चुकी है, जिसमें 1000 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है।


#मुरादाबाद: धरने में शामिल हुए इमरान प्रतापगढ़ी तो 1 करोड़ 4 लाख रु. का नोटिस

मुरादाबाद में धरना स्थल परटेंट से लेकर बिस्तर तक सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं।

29 जनवरी से ईदगाह मैदान पर धरना शुरू हुआ। खास बात यह है कि यहां तम्बू-कनात लगे हुए हैं, ओढ़ने-बिछाने के बिस्तरों का भी पूरा प्रबंध है। जबकि, लखनऊ की प्रदर्शनकारी महिलाएं इन व्यवस्थाओं के लिए संघर्ष कर रही हैं। मुरादाबाद में पुरुष भी धरने में शामिल हैं। उनके बैठने के लिए अलग व्यवस्था है। हर शुक्रवार को महिलाएं वहां पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराती हैं। मुरादाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े शायर इमरान प्रतापगढ़ी भी धरने में शामिल हुए थे। अब प्रशासन ने उन्हें नोटिस भेजकर 1 करोड़ 4 लाख रुपए के जुर्मानेका नोटिस भेजा है। यहां बैठी महिलाओं का कहना है- हम शाहीन बाग की तर्ज पर प्रदर्शन जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनका हर फैसला मंजूर नहीं करेंगे। वह भले ही सीएए हटने से पहले उठ जाएं, लेकिन हम नहीं उठेंगे।


#सहारनपुर: 34 दिन में कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई

देवबंद में सीएए के खिलाफ धरना-प्रदर्शन के साथ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है।

34 दिन पहले जमियत उलेमा-ए-हिन्द ने देवबंद के ईदगाह पर धरना शुरू किया था। बाद में धरने की कमान पुरुषों की जगह महिलाओं ने संभाल ली। अब यहां मुत्तहिदा ख्वातीन कमेटी का बैनर लगा हुआ है और उसी के अंतर्गत सारा धरना जारी है। धरने में शामिल फरहीन जहां कहती हैं कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना और धर्म के आधार पर नागरिकता न देना संविधान की हत्या जैसा है। इसे वापस लिया जाना ही चाहिए। अदीबा कहती हैं कि दिल्ली की हिंसा अफसोसजनक है। सदियों से भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई की तरह रहे हैं। ईद-होली साथ मनाई है। दिल्ली में हिंसा साजिश है। खास बात यह है कि सहारनपुर में चल रहे धरना-प्रदर्शन में अभी तक कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है।


#प्रयागराज: मंसूर अली पार्क की सीसीटीवी से हो रही निगरानी

धरना दे रही महिलाएं मंसूर अली पार्क में ही नमाज अदा करती हैं।

प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में 14 जनवरी से शुरू हुआ धरना आज भी जारी है। 18 जनवरी और 16 फरवरी को पुलिस महिलाओं को उठाने पहुंची, लेकिन उनके विरोध के कारण पुलिस को वापस लौटना पड़ा। बारिश का पानी पार्क में भरा, लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी और धरने पर डटी रहीं। अब आन्दोलनरत महिलाओं ने आशंका के चलते पार्क के चारोंओर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए हैं। धरने में शामिल महिलाओं को आशंका है कि आंदोलन खत्म करने के लिए अराजकतत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे लोगों पर नजर रखने के लिए एक दर्जन से अधिक कैमरे पार्क के प्रमुख स्थानों पर लगाए गए हैं।


#आजमगढ़: 12 घंटे ही चला धरना, पुलिस ने लाठीचार्ज कर महिलाओं को भगाया

प्रियंका गांधी ने इस बच्ची को अपना मोबाइल नंबर देकर कहा था- जब भी डर लगे मुझे फोन करना।

आजमगढ़ के बिलिरियागंज कसबे में 4 फरवरी को महिलाएं सीएए के खिलाफ लामबंद हुईं। लेकिन,रात दो बजे पुलिस ने धरनास्थल जौहर अली पार्क में बैठी महिलाओं को लाठीचार्ज कर खदेड़ दिया। पुलिस पर आरोप है कि लाठीचार्ज महिलाओं के ऊपर किया गया। तनाव बढ़ता देख इस मामले में पुलिस ने एक धर्मगुरु समेत 1 दर्जन लोगों को हिरासत में लिया। मामले की जानकारी हुई तो 12 फरवरी को पीड़ित महिलाओं से मिलने के लिए प्रियंका गांधी भी पहुंच गईं। उन्होंने कहा- आप सभी के साथ गलत किया गया है। हमें इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा। यह सरकार पूरी तरह से गरीबों के खिलाफ है। जिन लोगों पर अत्याचार हुआ है और जो लोग जेल में बंद हैं उनको न्याय दिलाने की कोशिश हर संभव की जाएगी। आजमगढ़ में अब धरना नहीं हो रहा है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
43 days in Lucknow and 53 days of dharna in Kanpur; Aligarh also witnessed violence; Everyone said - not every decision of Shaheen Bagh is acceptable


source https://www.bhaskar.com/uttar-pradesh/lucknow/news/43-days-in-lucknow-and-53-days-of-dharna-in-kanpur-aligarh-also-witnessed-violence-everyone-said-not-every-decision-of-shaheen-bagh-is-acceptable-126876794.html

केंद्रीय मंत्री घुसपैठियों को देश से खदेड़ने की बात कह रहे, पर जम्मू में रोहिंग्याओं को स्थानीय लोगों पर तरजीह मिल रही

जम्मू. मोदी सरकार म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने की लगातार बात कर रही है, लेकिन जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (जेएमसी) में स्थानीय लोगों के मुकाबले ऐसे अवैध प्रवासियों को तरजीह मिल रही है। करीब 200 रोहिंग्या मुसलमान जम्मू म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन में दिहाड़ी मजदूर हैं, जो नालियों की सफाई का काम करते हैं। इन्हें हर रोज 400 रुपए मिलते हैं। जबकि, इसी काम के लिए स्थानीय मजदूरों को 225 रुपए ही मिलते हैं। ठेकेदारों ने इन रोहिंग्याओं को लाने-ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट व्हीकल का इंतजाम भी किया है। काम पर जाने से पहले ये मजदूर स्थानीय जेएमसी सुपरवाइजर के ऑफिस में अटेंडेंस भी लगाते हैं।


दैनिक भास्कर से बातचीत में जेएमसी के सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रिंकू गिल बताते हैं, ‘‘जम्मू में नालों की सफाई के लिए ठेकेदारों के पास करीब 200 रोहिंग्या काम कर रहे हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें "नाला गैंग' कहते हैं। इन्हें 3 से 5 फीट की गहरी नालियों की सफाई करनी होती है। इसके लिए हर व्यक्ति को रोज 400 रुपए दिए जाते हैं।’’रोहिंग्या पर सरकार के बयानों का जिक्र करते हुए गिल कहते हैं, "एक तरफ सरकार रोहिंग्याओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताती है। दूसरी ओर जेएमसी में स्थानीय लोगों की अनदेखी कर इन्हें रखा जा रहा है।’’स्थानीय मजदूरों के समर्थन पर गिल आगे कहते हैं "अगर ठेकेदार बाहरी लोगों को काम पर रख रहे हैं, तो सभी को समान मजदूरी दी जानी चाहिए। स्थानीय मजदूरों से डबल शिफ्ट में काम कराया जाता है, लेकिन उन्हें मजदूरी रोहिंग्याओं की तुलना में कम मिलती है।"


इस बारे में जब जेएमसी के मेयर चंदर मोहन गुप्ता से बात की गई, तो उन्होंने कहा- जिस तरह से सरकार रोहिंग्या और अन्य सभी अवैध अप्रवासियों को बाहर करना चाहती है, उसी तरह से हम भी जम्मू से इन्हें बाहर कर रहे हैं। गुप्ता दावा करते हैं कि जेएमसी में किसी भी रोहिंग्या को काम पर नहीं रखा गया है। वे कहते हैं कि हम मजदूरों-कर्मियों की जांच करते हैं और यहां तक कि जेएमसी से जुड़े एनजीओ भी मजदूरों का रिकॉर्ड रखते हैं।


देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या

हजारों की संख्या में रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग क्षेत्रों में अपने शिविर बनाकर रह रहे हैं। ये बिना किसी रोकटोक के आर्मी कैम्प, पुलिस लाइन या रेलवे लाइन्स के नजदीक अपने तम्बू लगाते जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देशभर में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या रह रहे हैं, इनका एक चौथाई हिस्सा यानी 10 हजार से ज्यादा अकेले जम्मू और इससे सटे साम्बा,पुंछ, डोटा और अनंतनाग जिले में हैं। पिछले एक दशक में म्यांमार से बांग्लादेश होते हुए ये रोहिंग्या जम्मू को अपना दूसरा घर बना चुके हैं।


गृह विभाग ने रोहिंग्याओं पर जारी रिपोर्टकी थी

2 फरवरी 2018 को राज्य विधानसभा में पेश हुई जम्मू-कश्मीर गृह विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 5 जिलों के 39 अलग-अलग स्थानों पर रोहिंग्याओं के तम्बू मिले थे। इनमें 6,523 रोहिंग्या पाए गए थे। इनमें से 6,461 जम्मू में और 62 कश्मीर में थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू के बाहरी इलाके सुंजवान क्षेत्र में मिलिट्री स्टेशन के पास भी रोहिंग्याओं के तम्बू थे। इनमें 48 रोहिंग्या परिवारों के 206 सदस्य पाए गए। 10 फरवरी, 2018 को जब आतंकवादियों ने सेना के सुंजवान कैम्प पर हमला किया, तब सुरक्षा बलों ने गंभीर चिंता जताई थी कि इन आतंकवादियों को अवैध प्रवासियों ने शरण दी होगी। हालांकि, सबूत नहीं मिले और किसी भी अवैध अप्रवासी की जांच नहीं की गई। गृह विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 150 परिवारों के 734 रोहिंग्या जम्मू के चन्नी हिम्मत क्षेत्र में पुलिस लाइन्स के सामने अस्थायी शेड बनाकर रह रहे हैं। नगरोटा में सेना के 16 कोर मुख्यालय के आसपास भी कम से कम 40 रोहिंग्या रह रहे हैं। जम्मू के नरवाल इलाके में एक कब्रिस्तान में भी 250 रोहिंग्या रह रहे हैं। इनकी संख्या धीरे-धीरे इस क्षेत्र में बढ़ती ही जा रही है।


रोहिंग्याओं की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा: दावा

स्थानीय लोग रोहिंग्याओं को वापस भेजने की मांग लगातार कर रहे हैं। इनका कहना है कि रोहिंग्याओं की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। इनका बायो मैट्रिक्स डेटा भी अब तक नहीं लिया गया है। पिछले साल रोहिंग्याओं की वास्तविक संख्या का डेटा जुटाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक विशेष अभियान शुरू किया था। केंद्र सरकार के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजने के लिए उनका बायोमैट्रिक्स डेटा लेना था। यह डेटा जुटाने के दौरान पुलिसकर्मियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें इन रोहिंग्याओं के विरोध का सामना करना पड़ा।


सीवरेज लाइन बिछाने का काम करते हैं रोहिंग्या

ज्यादातर रोहिंग्या कचरा बीनने और साफ-सफाई के काम करते हैं। ठेकेदार इन्हें केबल और सीवरेज लाइन बिछाने के लिए मजदूरी पर रखते हैं। महिलाएं फैक्ट्रियों में काम करती हैं। भटिंडी क्षेत्र में इनका अपना बाजार है। यहां युवा एक साथ बैठे अपने मोबाइल फोन पर गेम खेलते और टीवी देखते देखे जाते हैं। युवा यहां इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन सुधारने की दुकानें भी चलाते हैं। कुछ रोहिंग्या सब्जी के ठेले और मांस की दुकानें लगाते हैं। इनके शिविरों में मस्जिदें भी हैं और कश्मीरी एनजीओ द्वारा संचालित स्कूल भी खुले हुए हैं। बच्चे सरकारी स्कूलों और स्थानीय मदरसे में भी पढ़ते हैं।

जम्मू में रोहिंग्या दिहाड़ी मजदूर साफ-सफाई के अलावा केबल और सीवरेज लाइन बिछाने का काम भी करते हैं।


केन्द्रीय मंत्री रोहिंग्याओं को बाहर करने के बयान देते रहे हैं

मोदी सरकार में कई सीनियर मंत्री यह दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार देश के कोने-कोने से अवैध घुसपैठियों की पहचान कर अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक,उन्हें वापस उनके देश भेजेगी। गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में सबसे आगे रहे हैं। पिछले साल उन्होंने चुनावी रैलियों में घुसपैठियों को बाहर करने की बात लगातार कही। संसद में भी वे इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार का रुख साफ कर चुके हैं। 17 जुलाई, 2019 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा था कि यह एनआरसी था, जिसके आधार पर भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई है। शाह ने कहा था, "असम में हुई एनआरसी की कवायद असम समझौते का हिस्सा है और देशभर में एनआरसी लाना यह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र में शामिल था। इसी आधार पर हम चुनकर दोबारा सत्ता में आए हैं। सरकार देश के एक-एक इंच से घुसपैठियों की पहचान करेगी और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उन्हें बाहर करेगी।"


हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर 22 दिसंबर को हुई रैली में कहा था, ‘‘हमारी सरकार बनने के बाद से आज तक एनआरसी शब्द की कभी चर्चा तक नहीं हुई। असम में भी हमने एनआरसी लागू नहीं किया था, जो भी हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ।’’ केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 3 जनवरी को दिए बयान में कहा था, ‘‘नागरिकता संशोधन कानून से रोहिंग्याओं को किसी तरह का फायदा नहीं होगा। वे किसी भी तरह से भारत केनागरिक नहीं हो सकते। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में रहने वाले हर रोहिंग्या को वापस जाना ही होगा।’’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Kashmir Rohingya Muslims | Jammu Kashmir Rohingya Muslims Earning Ground Report Latest News and Updates On Narendra Modi Govt, Amit Shah


source /db-originals/news/jammu-kashmir-rohingya-muslims-earning-ground-report-latest-news-updates-narendra-modi-govt-amit-shah-126875696.html